आदरणीय साथिओ,
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आदरणीया नीता कसार जी, आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर
" दिशाहीन"----
चौराहे पर "स्टाप" सिग्नल को देख गाड़ी रोकी ही थी कि तभी पास ही एक एक्टिवा भी खचाक से आकर रुकी तो सहसा ध्यान उसकी तरफ़ मुड़ गया, उस पर सवार दोनो लड़कियों ने अपने आप को आपस मे कस के पकड़ रखा था। कंधे से उतरती-झुलती टी-शर्ट और जांघे दिखाती पेंट के साथ पिछे वाली के हाथ में जलती सिगरेट देख वो दंग रह गई।
एक कश खुद लगा छल्ले आसमान मे उडा दिये और आगे हाथ बढा ड्रायविंग सीट पर बैठी लड़की के होंठो से लगा दिया । उसने भी जम के सुट्टा खींचा, तभी सिग्नल के हरे होते ही वे हवा से बातें करते फ़ुर्र्र्र्र हो गई। उन्हें देख संवेदना जडवत हो गई थी, पिछे से आते हॉर्न की आवाज़ों से मानो वो अवसाद से बाहर आयी ।
पास से गुजरने वाला हर शख्स व्यंग्य से उसे घुरते निकलता और कहते आगे बढ़ता कि गाड़ी चला नही सकती तो...
" अरे! लेकिन देखो तो इन लड़कियों को। सारी शर्म हया बेच खायी है इन लोगो ने। इज़्ज़त मिट्टी मे ... है।"--सुलभा गुस्से मे थरथरा उठी।"
"अरे ! आंटी गाड़ी आगे बढाओ।"--पिछे से एक नौजवान चिल्ला रहा था।
ये सब तो अब आम बात है। अब लड़कियाँ भी कहा लड़कों से कम है।
मौलिक एवं अप्रकाशित
नयना ताई बहुत ही नया विषय चुना है आपने लघुकथा के लिएI आधुनिकता के नाम पर नए नए अँधेरे रास्ते बन रहे हैं या ढूंढें जा रहे हैंI छोटे शहर-कसबे में तो अभी इतनी बेलगामी नहीं आई लेकिन बड़े शहरों खासकर महानगरों में अजीब आलम हैI आप विश्वास करें इन बड़े शहरों में लड़के-लडकियाँ खुद को गे-लेस्बियन बताने में फ़ख्र महसूस करते हैं आजकलI बहरहाल, आपकी यह लघुकथा बेहद पसंद आई जिस हेतु हार्दिक बधाई देता हूँI
//उस पर सवार दोनो लड़कियों ने अपने आप को आपस मे कस के पकड़ रखा था।// अपने आप को या एक दूसरे को?
//लड़कियाँ भी कहा लड़कों से कम है// कहा=कहाँ "कम है" नहीं "कम हैं"
झुलती=झूलती, जडवत=जड़वत, पिछे=पीछे, फ़ुर्र्र्र्र =फ़ुर्र, घुरते=घूरते
आ. योगराज भाई सर्वप्रथम आपको धन्यवाद की आप को लघुकथा पसंद आई.
सच आज जो माहौल है बेलगामी का उससे बडा डर लगता है कि हमारी युवा पीढी अपने आप को कितना गर्त मे ढकेलते जा रही है. बेलगामी का यह आलम सिर्फ़ लडकियों के साथ ही नही लडको पर भी है. भोपाल जैसे छोटे शहर मे भी हर गली-नुक्कड के कोने पर रात के अंधेरे मे बेखौफ़ खडे अनेक युवा जोडे दिखाई देते है.
//आपने जिन त्रुटियो के लिए इंगित किया है उसे संकलन मे सुधार करती हूँ.//
सच कहा आपने आदरणीया नयना ताई , आज कल लडकियां भी कम नहीं | किसको दोष दें ? बढ़िया लघुकथा हुई है आपकी | बधाई स्वीकारें |
धन्यवाद कल्पना बहना
आभार सर
आ. उस्मानी जी सदा से आपकी सकारात्मक उत्साहवर्धक टिप्पणी मुझे लिखने का हौसला देती है. आभार आपका
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