आदरणीय साथिओ,
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वाह ! क्या बारीक समीक्षा हुई है | समीक्षा का आपना अतिम ोपैराग्राफ तो जैसे किसी एक और लघु कथा का का का समापन पैराग्राफ ही बन गया आदरणीय
आदरणीय कल्पना भट्ट जी शुक्रिया आप का .
आदरणीय समर कबीर जी आप का कहना सही है. अनुत्तरित प्रश्न तो नहीं है.
वैसे इस तरह कि परिस्थितियों को स्त्रियाँ बेहतर हैंडल करती हैं .और बच्चे उन्हें बेहतर समझते हैं ...प्रदत्त विषय पर सार्थक रचना , हार्दिक बधाई आपको आदरणीय ओमप्रकाश जी
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