आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। लाज़वाब लघुकथा।समय के साथ साथ हर रिश्ते में खटास पैदा होने लगती है।बखूबी चित्रण किया है।सादर।
अच्छी कथा हुई है आदरणीय शहजाद भाई जिसके लिए हार्दिक बधाई | पर इस तरह की कथाएं आप पहले भी लिख चुके हो |सादर |
बेहद बढ़िया रचना कही है आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब, पति-पत्नी की नोकझोंक में छिपी परेशानियां जिनका हल सिर्फ उन्हीं के पास है, को न केवल रचना के अनकहे में रखा है बल्कि संवादों के अंत में भी आपस में अनकहा है जो कि विषय को बहुत अच्छी तरह से दर्शा रहा है| सादर बधाई स्वीकार करें इस सृजन हेतु| वरिष्ठजनों और गुरुजनों की बात पर विचार ज़रूर करें| सादर,
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