आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आ. उस्मानी जी बहुत प्रभावी संवादो से बुनी आपकी रचना बहुत कुछ कहते हुए भी बहुत कुछ अनकहा छोड रही यही एस रचना की सार्थकता हैं बधाई स्वीकर करे
प्रदत्त विषय से न्याय करती बढ़िया रचना, बहुत बहुत बधाई आपको
पति पत्नी के बीच सामंजस्य का अभाव ,.एक दूसरे पर दोषारोपण के बीच कही अनकही बातें छिपी हुई हैं .
//"कमियां न तुम में हैं, न ही मुझमें! हमारी ज़िन्दगी के ताने-बाने में है!"// इस पंक्ति के बिना अनकहा ज्यादा प्रभावशाली होता. हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस शानदार कथा के लिए आदरणीय उस्मानी जी
आदरणीय भाई जी, मुझे आपकी रचना बहुत प्रभावशाली लगी । लघुकथा में एक प्रवाह है जाे पाठक को अपने साथ बहा ले जाने की क्षमता रखता है। पढ़ते पढ़ते कौतुहलता बढ़ती जाती है । लघुकथा चरम पर पहुंच कर /कमियां न तुम में हैं....../ पर समाप्त होती है और पाठक के चिंतन मनन के लिए बहुत कुछ छोड़ जाती है । शीर्षक चयन भी सटीक । ढेरों शुभकामनाएं ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |