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क्या बात है!..सरकारी काम-काज पर तंज करती सार्थक लघुकथा! हार्दिक बधाई आ० रीता गुप्ता जी!
धन्यवाद आपको पसंद आई ,श्री कृष्णा जी .
सही बात , सचमुच बड़ी बेबसी है i जनता सरकार की रोज रोज की दखलंदाजी से परेशान है .सब कुछ ओछी राजनीति का नतीजा है और लाभ विदेशी उठा रहे हैं . देश की भोली जनता ठगी जा रही है . बहुत अच्छी कथा .
धन्यवाद आपको पसंद आई श्रीमान गोपाल जी .
ये एक सच्चाई है ,धन्यवाद आपको पसंद आई
रीता जी ! आपके रचना रूपी दर्पण मे पूरे राष्ट्र को झाँकने की जरूरत है!! सादर बधाई हो इस रचना हेतु.
धन्यवाद आपको पसंद आई ,ऐसा हो रहा है .
आदरणीया रीता जी,
बहुत अच्छी लघुकथा हुई है
जो व्यवस्था की कार्यप्रणाली से अनजान है उन्हें भी अंततः उसमे सम्मिलित होना ही पड़ता है इस विडम्बना को सार्थक शब्द मिले है आपकी लघुकथा में
आपको हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर
धन्यवाद आपको पसंद आई ,मिथिलेश जी .बिलकुल सही फरमाया आपने ,जो व्यवस्था की कार्यप्रणाली से अनजान है उन्हें भी अंततः उसमे सम्मिलित होना ही पड़ता है .
ये कहते ख़ुशी ख़ुशी वे पडोसी के घर व्यूह तोड़ने की तरकीब लेने चल पड़े . ने लघुकथा में जान डाल दी
धन्यवाद आपने मेरी रचना को समय दिया .
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