आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय टी आर शुक्ल जी, आपने संवाद के माध्यम से लघुकथा को बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है| कथा का अंतिम सन्देश मर्मस्पर्शी है| मैं इसमें प्रदत्त विषय को खोजने की कोशिश कर रहा हूँ| शायद उस एक वाक्य में ही प्रदत्त विषय यानी उजाला का अर्थ छिपा हो| बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक साधुवाद|
रचना के भाव अच्छे हैं, लेकिन इसे ट्रीटमेंट कहानी की तरह मिली है लघुकथा की तरह नहीं. लघुकथा केवल एक कालखंड की प्रस्तुति होती है जबकि इस रचना में कई कलखंड हैं. बहरहाल, आयोजन में सहभागता हेतु बधाई स्वीकार करें डॉ आशुतोष मिश्रा जी।
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