आदरणीय साथिओ,
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मुह्तरमा जानकी वाही साहिबा , प्रदत्त विषय पर बहुत ही सुंदर लघुकथा
हुई है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ
बहुत बढ़ीया प्रैजेन्टेशन व सार्थक संदेश के साथ विषय को परिभाषित करने का शानदार प्रयास । हार्दिक शुभकामनाएं ।
जानकी जी भी इस बार "दागो और भागो" की शिकार गईं हैं शायद...
आसान राह (फ़रिश्ते )
केंसर हॉस्पिटल के वार्ड नम्बर १७ जिसमे आठ बच्चे जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रहे थे के बेड न० ३ के पेशेंट का सामान उठाने के लिए जैसे ही डॉ० सैनी ने वार्ड ब्वाय को कहा तो हमेशा की तरह बच्चों ने तीर की तरह चुभता हुआ सवाल उछाल दिया-
“आरव कहाँ है ? कल रात से उसे वापस लेकर क्यूँ नहीं आये ” बच्चों से नजर बचाते हुए डॉ० सैनी का मुस्कुराते हुए वही पुराना जबाब “उसके मातापिता घर ले गए वो ठीक हो गया था न” .
“ झूठ बोलते हो आप डॉक्टर अंकल, हमें सच पता चल गया है सब बच्चों ने एक सुर में कहा . आज सुबह ही आरव ने हमको जगाकर बताया कि वो फ़रिश्ता बन गया है जैसा कि अंकल आप ही हमें हमेशा कहते थे जो बच्चे हँस कर दर्द सहन करते हैं रोते नहीं वो अच्छे बच्चे फ़रिश्ते बन जाते हैं अब आरव भी फ़रिश्ता लोक में चला गया है वहां उसे न कोई इंजेक्शन लेना पड़ता है न ही कड़वी दवाई पीनी पड़ती न ही कोई दर्द होता है वो बहुत मजे से है अब से हम भी उसकी तरह खुश रहेंगे वो धीरे धीरे हमें भी वहाँ बुला लेगा हमसे प्रोमिस करके गया है”|
“लेकिन वो तो कल रात ही” ......उस वार्डब्वाय की बात पूरी होने से पहले ही डॉ० सैनी उसको बाहर खींच कर ले गया.
मौलिक एवं अप्रकाशित
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़, आरव भी फरिश्ता लोक में चला गया है, बहुत सुंदर दी ,बच्चो का दिल कितना कोमल होता है, उनको भी एहसास हो जाता है, वे अपने ही तरीके से किसी चीज को ले लेते है, यहाँ आरव की मृत्यु हो चुकी है पर उन बच्चो को दिखाई दिया है वह| बहुत सुंदर दी | हार्दिक बधाई|
प्रिय कल्पना जी आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ .
आद० मोहम्मद आरिफ जी ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ .
आद० उस्मानी जी ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ .
इसका शीर्षक बहुत सोच विचार के बाद रक्खा आदरणीय --डॉ० के साथ साथ आरव् उन बच्चों की फ़रिश्ते बनने की राह आसान कर देते हैं |
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