आदरणीय साथिओ,
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प्रदत्त विषय पर लघुकथा कहने का प्रयास तो सराहनीय है, कथा की बुनावट भी अच्छी है लेकिन महज़ एक लॉकेट के ज़िक्र से बेटे का ह्रदय परिवर्तन हो जाना बेहद अस्वाभाविक लगता है जिससे कथा सतही सी बन कर रह गई है. लॉकेट की बजाय कोई और सॉलिड रीज़न ढूंढें आ० नीता कसार जी.
बहुत सुन्दर रचना विषय पर, बधाई आपको आ नीता कसार जी
दी सिर्फ लोकेट की वजह से रुकना! बात कुछ समझ नहीं आई| सादर |
हार्दिक बधाई आदरणीय नीता कसार जी।लाज़वाब लघुकथा।
आदरणीय नीता जी बहुत बढ़िया रचना ,बधाई
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