आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय मनन जी, टंकण त्रुटियों और केवल संवादात्मक शैली में होने के कारण आपकी कथा थोड़ी उलझी हुई लगी. बहरहाल, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आभारी हूँ आदरणीय महेंद्र जी।
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब,
लघुकथा कहने का अच्छा प्रयास रहा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें तथा गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें ।
आभारी हूँ आदरणीय।
हार्दिक बधाई..
आभारी हूँ।
कथा समझ ही नहीं आई | क्षमा सहित | सादर|
मनोरंजन--
जंगल से गुजरते हुए उसकी निगाह सड़क के चारो तरफ घूम रही थी. प्रकृति के बीच रहना उसे बहुत अच्छा लगता था और जैसे ही मौका मिलता वह निकल पड़ता. अचानक उसकी निगाह सड़क के किनारे बैठे एक स्थानीय आदिवासी युवक पर पड़ी जो गुलाबी पगड़ी पहने बैठा हुआ था. उसके सामने पांच छह मुर्गे थे और एक बड़ा सा झोला भी था. बढ़िया फोटो आएगी, उसने सोचा और ड्राइवर को रुकने के लिए कहा. युवक ने उसकी तरफ प्रश्नवाचक निगाह डाली और कुछ पूछता उसके पहले ही उसने पूछ लिया "ये मुर्गे क्यों लेकर बैठे हो यहाँ?
"आगे हाट में लेकर जाना है बेचने के लिए", युवक ने आशाभरी निगाहों से उसकी तरफ देखते हुए कहा.
"तो तुम्हारा घर यहीं कहीं होगा!, उसने पूछा तो युवक ने बताया कि कोई ५ किमी दूर है.
"फिर यहाँ क्यों बैठे हो और कैसे आये यहाँ?, उसकी उत्सुकता थोड़ी बढ़ गयी थी.
"किसी गाड़ी वाले ने यहाँ तक पहुंचा दिया, अब हाट तक के लिए भी कोई और गाड़ी ही मिल जाएगी", युवक ने बताया.
उस स्थानीय आदिवासी युवक के साथ उसने झट से चार छह फोटो, एकाध सेल्फी भी ली और फिर चलने को हुआ.
तभी उस युवक ने विनती के स्वर में पूछा "साहब हाट की तरफ जा रहे हो तो हमको भी लेते चलो".
उसके कदम ठिठके, थोड़ा गुस्सा भी लगा. फिर उसकी निगाह अपने ड्राइवर की तरफ पड़ी, वह भी मना करता लग रहा था.
"नहीं भाई, उधर नहीं जा रहा हूँ", कहते हुए वह गाड़ी में बैठा और गाड़ी आगे बढ़ गयी.
"थोड़ा प्यार से बात करलो तो कुछ भी सोच लेते हैं लोग" बुदबुदाते हुए साइड मिरर से उसने देखा, पीछे उड़ती धूल में वह युवक खो गया था.
मौलिक एवम अप्रकाशित
बहुत बेहतरीन लघुकथा। आदिवासियों व गरीब को महज चित्र खिंचवाने व अपने प्रचार के लिए प्रयोग करने की प्रवृति पर तीक्ष्ण तंज। आदिवासियों के लिए इन बड़े लोगों से सम्मान पाना एक दिवास्वप्न सरीखा ही है।बहुत सम्प्रेषणीय कथा।
रचना को सराहने के लिए बहुत बहुत आभार आ डॉ संगीता गाँधी जी
मनोरंजन केबहने सुंदर लघुकथा कही हैं. बधाई.
बहुत बहुत आभार आ ओम प्रकाश जी
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