आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय कल्पना जी।अच्छी अघुकथा।
इस कथा का सम्पूर्ण निचोड़ इस कथा की अंतिम पंक्तियाँ हैं जो सारा सार अपने में समेटे हुए है।जिसने इस पौराणिक कथा को वर्तमान से जोड़कर अद्भुत बना दिया।इस बेहतरीन सृजन हेतु हार्दिक बधाई आ.वीरेंद्र वीर सिंह मेहता जी।
हार्दिक आभार जानकी जी, रचना पर आपकी प्रथम प्टिप्पणी पर, वस्तुतः पुराणिक रचनाओं में रचनाकार के पास स्वयं कहने के लिए कुछ खास नहीं होत्ता क्यूंकि वह इतिहास से छेड़छाड़ नहीं कर सकता. बस जिस भाव को वह दर्शान चाहता है उसी पर अपनी काल्पनिकता को रख कर अंत को प्रभावी बनाने का प्रयत्न होता है .... सादर
आपकी परिपक्व लघुकथा लेखनी को पुष्ट करती एक और बेहतरीन सृजन। अंतिम वाक्यांश के लिए विशेष रूप से बहुत-बहुत बधाई आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता साहिब। इस घोर कलयुग के चरमोत्कर्ष पर नैतिक मूल्यों के पतन के साथ मनुष्य की स्थिति/ परिस्थितियों पर कटाक्ष करती विचारोत्तेजक लघुकथा। शीर्षक रचना के उच्च स्तर जैसा नहीं लगा।
हार्दिक आभार भाई, शेख शहजाद उस्मानी भाई आपकी पप्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए....प्रस्तुतु रचना मात्र एक पुराणिक कथा को सामने रखकर नया प्रयोग करने का अवसर लिया है, कह नहीं सकता कि मैं कितना सफल हूँ या कितना असफल... सादर
बहुत ही सार्थक, संदेशपूर्ण व विषय से पूरी तरह न्याय करती लघुकथा । सटीक शीर्षक चयन व प्रस्तुतिकरण भी सराहनीय । हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय वीर भाई । सादर
आपकी टिप्पणी सदेव ही मेरे लिए सटीक समीक्ष्ताम्क रही है भाई रवि प्रभाकर जी.... प्रस्तुत रचना में बहुत से प्रश्न मेरे मन में थे जिसे मैंने एक और करके प्रयास किया है. आपको अच्छा लगा, जानकार ख़ुशी हुयी, दिल से आभार स्वीकार करे रवि भाई जी. रचना की लम्बाई अवश्य मुझे असहज कर रही है जिस पर आपकी राय अवश्य जानना चाहूँगा.....सादर
बहुत ही प्रभावशाली लघुकथा कही है भाई वीर मेहता जी. पौराणिक प्रसंग में अपनी कल्पना शक्ति का पुट मिलाकर अपनी बात कह जाना सरल नहीं होता लेकिन आपने जिस सहजता और सरलता से इसे अंजाम तक पहुँचाया वह सराहनीय है जिस हेतुमेरी हार्दिक बधाई स्वीकर करें.
तहे दिल से आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर सर, प्रस्तुत प्रयास पर आपकी सकारत्मक टिप्पणी के लिए.... आपके लिखे शब्द सदा ही मेरे लिए प्रोत्साहक रहे है आदरणीय.. बहुत बहुत आभार भाई जी
आदरणीय वीरेंद्र मेहता जी आदाब,
विषयांतर्गत बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
जनाब वीरेन्द्र वीर मेहता जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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