आदरणीय साथिओ,
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वाह! बहुत बढ़िया कथ्य और कथा।हार्दिक बधाई आ.टी.आर.सुकुल जी।
विनम्र आभार आदरणीया।
आज की पीढ़ी को बढ़िया सबक़ देती बहुत ही गंभीर भावपूर्ण और उम्दा प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएं मुहतरम जनाब त्रैलोक्य रंजन शुक्ल जी। अब यही समय है कि अपनी धार्मिक ग्रंथों में से इस तरह के उद्धरण देकर ऐसी लघुकथा सृजन जारी रखा जाये हमें सही राह दिखाती हुई। गुरु और शिष्य के यथार्थ का एक बढ़िया उदाहरण व संदेश वाहक लघुकथा के लिए हार्दिक आभार।
विनम्र आभार आदरणीय।
आदरनीय डॉ. टी आर सुकुल जी प्रदत्त विषय पर एक अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति सादर बधाई स्वीकार करें
विनम्र आभार आदरणीय।
आद० सुकुल जी अच्छी लघु कथा कही है बहुत बहुत बधाई आपको
विनम्र आभार आदरणीया।
बहुत सुन्दर ,और अपनी बात कहने के लिए आपने जिस शैली और शब्दावली का प्रयोग किया है वो अत्यंत प्रभावी है हार्दिक बधाई आदरणीय
विनम्र आभार आदरणीया।
विषयानुकूल बढ़िया लघुकथा कही है आपने आदरणीय डॉ. टी आर सुकुल जी. मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.
विनम्र आभार आदरणीय।
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