आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |
पिछले 36 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 37
विषय - हम आजाद हैं !!
आयोजन की अवधि- गुरूवार 14 नवम्बर 2013 से शुक्रवार 15 नवम्बर 2013 तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 14 नवम्बर दिन गुरुवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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अतुकान्त मे आजादी का तात्पर्य सटीक ढंग से समझाया है आपने आ0 राजेश दीदी!
हार्दिक बधाई!!
प्रिय गीतिका जी रचना की सराहना हेतु हार्दिक आभार सही सन्देश दे सकी रचना सार्थक हुई
सही कहा आ. राजेशकुमारीजी मन की आजादी ही सर्वोपरि है । हार्दिक बधाई सुंदर अभिव्यक्ति के लिए।
आदरणीय रचना के मर्म ने प्रभावित किया रचना सार्थक हुई दिल से आभार आपका
बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!
पंक्तियों को जिस तरह से तोडा गया है, वो प्रवाह में बाधा पहुँचाने के साथ ये भी आभास दे रहा है कि एक वाक्य को पंक्तियों में तोड़ दिया गे है. कृपया देख लें!
सादर!
अगर आपको कविता पढने में प्रवाह में बाधा उत्पन्न हुई तो बहुत सुन्दर लिखने का तात्पर्य मुझे समझ नहीं आया ब्रिजेश जी,दूसरे अतुकांत कविता के नियम मुझे सच में ज्ञात नहीं हैं ,अतुकांत कविता में भाव ,प्रवाह और रस का संगम हो बस इतना जानती हूँ ,हार्दिक आभार शुभकामनायें
आदरणीया 'बहुत सुन्दर' लिखने का तात्पर्य है कि भाव के स्तर पर, जो कविता में प्रमुख होता है, कविता मुझे अच्छी लगी!. शिल्प के स्तर पर मुझे जो कमी लगी उस तरफ मैंने इंगित किया. हो सकता है कि मेरा सोचना गलत हो. वैसे आप मुझसे अधिक योग्य और वरिष्ठ हैं!
सादर!
तन से आजाद हो, क्या मन से भी ? तुम्हारी दशा उस तोते जैसी नहीं है? जिसका पिंजरा खोल दिया गया हो किन्तु वो बाहर नहीं निकलता क्योंकि वो मन से परतंत्र हो चुका, अपनी उड़ान का भरोसा खो चुका |
आदरणीया कुछ कहते नहीं बन रहा, वैसे बहुत हद तक बृजेश भाई ने बातों को स्पष्ट किया है, आभार बृजेश भाई जी |
सादर आभार आदरणीय गणेश जी.
आदरणीया राजेशकुमारीजी, बहुत सुंदर श ब्दों में आजादी के अभिप्राय को अभिव्यक्त किया है आपने बधाई बधाई
रमेश कुमार जी आपका दिल से आभार
वाह..... कितनी सुंदर रचना है आ0 राजेश कुमारी जी..... सही कहा आपने...... //पहले मन को इस वशीकरण से मुक्त करो//...... आहा.... कितना अच्छा कथन है..... हार्दिक बधाई इस खूबसूरत अभिव्यक्ति हेतु....
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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