For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 47 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-48

विषय - "कर्त्तव्य"

आयोजन की अवधि- 10 अक्टूबर 2014, दिन शुक्रवार से 11 अक्टूबर 2014, शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)


बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. 
  •  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 10 अक्टूबर 2014,दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 10390

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

अतुकांत कविता : कर्तव्य

================

मेला मेला है..
मेले को चाहिए भीड़
भीड़ को चाहिए आदमी
और तुम तो आम आदमी हो !
बनते हो भीड़ का हिस्सा
व्यवस्था सुरक्षा प्रशासन
आह अफवाह और लाचारी के मध्य
रौंदे जाते हो.
मरती हैं तुम्हारी औरतें
मरते हैं तुम्हारे बच्चे
शुरू होता है फिर
आरोपण
प्रत्यारोपण
बयानबाजी
मुआवजा
स्थानान्तरण
निलंबन
और
उच्च स्तरीय जाँचों का खेल

चकमक करती
लाल, पीली, नीली बत्तियाँ,
दौड़ती हुई बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ,
क्या देखते हो भौचक होकर ?
सभी कर्तव्य पर हैं.. !
और तुम हो आदमी
आदमी भी नहीं
महज़ आम आदमी
जो बनते हैं भीड़ का हिस्सा
अपना कर्तव्य समझकर !

***********************************

(मौलिक व अप्रकाशित)

सभी कर्तव्य पर हैं.. !
सही कहा आपने , सब कर्त्तव्य पर डटे हैं , दुर्घटनाएं हैं तो कार्यवाही भी है और मुआवजा भी . उनकी जय जय कार तो हर हाल में , लोग चाहे जितने बेहाल हों .
बहुत बहुत बधाई आदरणीय इंजीo गणेश जी बागी जी , कर्त्तव्य बोध कराती इस स्पष्ट रचना के लिए .

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, कविता पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया मन मुग्ध कर गयी, रचना सार्थक प्रतीत होने लगी, बहुत बहुत आभार आदरणीय।

इस रचना के माध्यम से सामाजिक दर्द अत्यंत गंभीरता से उभर कर आया है. वह इस रचना को एक अलग ही स्तर देता हुआ है, भाई गणेश जी. जन का जन के लिए जन के द्वारा शासन की अवधारणा तो केवल सैद्धांतिक हो कर रह गयी है. सारा तंत्र विशिष्ट वर्ग को ध्यान में रख कर संचालित हो रहा है.

आपकी यह कविता तंत्र की विद्रुपता को बखूबी सामने लाती है. व्यंग्यात्मक शैली के कारण कथ्य का प्रभाव अत्यंत मारक है.

इस रचना के लिए दिल खोल कर बधाई कह रहा हूँ.  साथ ही, इस जैसी रचना से काव्य महोत्सव का शुभारम्भ करने के लिए विशेष बधाई.

आदरणीय सौरभ भईया जी, रचना पर समीक्षात्मक प्रतिक्रिया प्रोत्साहित कर गयी, बहुत बहुत आभार आदरणीय।

सरकारी उदासीनता और सामाजिक अव्यवस्था के परिप्रेक्ष में जन जन असुरक्षा के वातावरण में जीने को मजबूर है, तब 

कर्तव्य की बात किसके गले उतरती है और कैसे कोई निर्धन व्यक्ति अपना कर्तव्य निभा पाए | सामाजिक व्यवस्था पर 

चोट करती और कर्तव्य बोध कराती सुंदर रचना से महोत्सव का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई आद श्री गणेशजी "बागी" जी 

आदरणीय लडीवाला जी, आपको रचना पसंद आयी, रचना सार्थक हो गयी, बहुत बहुत आभार आदरणीय, स्नेह बना रहे, सादर।

आदरणीय बागी जी

आपकी इस कविता मे वैसा ही सामाजिक व्यंग्य है जैसा आपकी लघु कथा में होता है i आम आदमी की नियति और त्रासदी को नवीन धज  के साथ प्रस्तुत किया गया है i आपको लख-लख बधाईया i

 

मेला मेला है..
मेले को चाहिए भीड़
भीड़ को चाहिए आदमी
और तुम तो आम आदमी हो !
बनते हो भीड़ का हिस्सा
व्यवस्था सुरक्षा प्रशासन
आह अफवाह और लाचारी के मध्य
रौंदे जाते हो.

 

//आपकी इस कविता मे वैसा ही सामाजिक व्यंग्य है जैसा आपकी लघु कथा में होता है //

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, आपने लघुकथाकार का मान रख लिया :-) सराहना हेतु हृदय से आभार, बस मन गदगद है सादर।

और तुम हो आदमी 
आदमी भी नहीं 
महज़ आम आदमी
जो बनते हैं भीड़ का हिस्सा 
अपना कर्तव्य समझकर !... अव्यवस्था के रोड रोलर तले  दबे हुए आम आदमी की कराह है ये कविता /साधुवाद आदरणीय बागी जी। 

इस स्नेह हेतु हृदय से आभार आदरणीय अविनाश बागडे साहब, स्नेह बना रहे।

आदरणीय गणेश भाईजी

जन तंत्र पर सरकारी तंत्र हावी है। खानदानी डकैतों की तरह नेता अफसर मिलकर देश को लूट रहे हैं । और क्यों न लूटे , यही तो उनका परम कर्तव्य है । 

जनता हलाकान , परेशान । नेता अफसर शैतान ॥ 

इस सुंदर व्यंग्य और  महोत्सव का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
11 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
22 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
26 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
31 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service