आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय बबिता जी सरकार की सजगता अच्छी लगी.
सधन्यबाद, ओमप्रकाश सरजी ।
संवाद 1, 5, 6 को थोड़ा और अधिक स्पष्ट करके या दूसरे तरह से कहकर बेहतर सम्प्रेषण कराया जा सकता है मेरे विचार से आदरणीया बबीता गुप्ता जी।
सधन्यबाद, आदरणीय शेख सरजी ।
आदरणीय बबीता जी आदाब अच्छी पेशकश के लिये मुबारकबाद सादर
सधन्यबाद, आदरणीय आसिफ सरजी ।
मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,प्रदत्त विषय पर लघुकथा का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
सधन्यबाद, समर सरजी ।
लघुकथा _अपना वतन (जाग्रति)
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच के दौरान जब पाकिस्तान के विकेट लगातार गिरने लगे तो घर वालों को खुशी में उछलता देख खालिद अहमद झुंझला कर कहने लगे, "मुस्लिम मुल्क के विकेट गिरने पर तुम लोग खुश हो रहे हो?"
बेटे ने जवाब में कहा, "उस मुल्क के सामने हमारा देश है"
खालिद अहमद आँख दिखाते हुए बोले, "भारत में हिंदू हुकूमत है और पाकिस्तान में मुस्लिम, फ़िर भी तुम लोग भारत का साथ दे रहे हो?"
खालिद अहमद की बीवी बीच में बोल पड़ीं," आप उस मुस्लिम मुल्क की हिमायत कर रहे हैं जहाँ आज भी भारत से गए मुसलमानों को मुहाजिर कहा जाता है"
बीवी की बात सुन कर खालिद अहमद कुछ नर्म पड़ते हुए बोले," भारत में भी तो हमारे साथ भेद भाव किया जाता है, हमारे बुज़ुर्गों की बनाई संपत्ति और इस्लाम के नियमों से छेड़ छाड़ की जाती है "
खालिद अहमद की बात सुन कर बेटी कहने लगी," हम भारत का नमक खाते हैं, पानी पीते हैं, यहाँ की हवा में साँस लेते हैं, हर धर्म के लोग प्यार से रहते हैं, कुछ फिरक़ा परस्त ज़रूर माहौल खराब करने की कोशिश करते हैं, हमें फख्र है कि हम हिन्दुस्तानी हैं "
बेटी की बात सुन कर खालिद अहमद ख़ामोश हो गए, अचानक टी वी पर शोर सुनाई दिया, खालिद अहमद की नज़र जैसे ही उधर गई वो हंसते हुए उछल कर चिल्ला पड़े," अपना भारत मैच जीत गया "
(मौलिक व अप्रकाशित)
जनाब तस्दीक़ अहमद साहब ,
ख़ूबसूरत उन्वान के साथ वतन परस्ती से लबरेज़ बेहतरीन लघुकथा के लिए दिली मुबारक़बाद ,
जनाब सलीम रज़ा साहिब आ दाब, लघुकथा पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
गोष्ठी और ओ बी ओ में आपका इस्तक़बाल करता हूं
प्रदत्त विषय से पूर्ण न्याय करती हुई लघुकथा कही है आ० तस्दीक अहमद खान साहिब. बहुत बहुत मुबारकबाद स्वीकार करें.
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