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आदरणीय अर्चना जी, हार्दिक बधाई!घुन भरी बुनियाद का बहुत ही सटीक उदाहरण दिया है
आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी, इस यथार्थपरक रचना प्रेषण हेतु आपको ह्दय से शुभकामनाएं । वाकर्इ परिवार की बुनियाद को तो घुन लग ही चुका है । सादर बधाई ।
बहुत ही मार्मिक बहु के संवेदनहीन मनोभावों को दर्शाती लघुकथा हेतु बधाई स्वीकार करें आदरणीय अर्चना जी
अच्छी लघुकथा हुई है आदरणीया अर्चना जी। दाद कुबूल कीजिए।
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