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लघुकथा के मूल में जाकर गूढ़ विश्लेषण हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया कांता रॉय जी !
रचना को पसंद कर सकारात्मक टिप्पणी द्वारा मेरा हौसला अफज़ाई करने हेतु बहुत आभार आदरणीया ज्योत्स्ना कपिल जी !!
लघुकथा के मर्म को छू कर अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु बहुत आभार आदरणीया नीता जी !
आदरणीय चंद्रेश जी हार्दिक बधाई,आपने अपनी इस लघुकथा के माध्यम से समाज में व्याप्त उस विचार धारा को करारा तमाचा मारा है कि"लोग क्या कहेंगे"!बहुत बढिया!
"लोग क्या कहेंगे" - "लोग क्या सोचेंगे" - "मैं स्वयं किसी के सामने कमज़ोर कैसे दर्शा दूं" यही सारी मानसिकताएं हैं जिनमें कहीं न कहीं हम सभी उलझ जा ही जाते हैं, आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर| मैनें भी लघुकथा का ये ही विषय/सार सोचा था| आभार आपका आपने लघुकथा को समझा और अपनी टिप्पणी से मुझे कृतार्थ किया|
मित्र को देखकर उसकी भी हिम्मत बढ़ गई
"नहीं, जैसा मैं हूँ वैसा दिखने में शर्म कैसी?"--- सुन्दर परिभाषा बहादुरी की।वस्तुस्थिति को सहजता से स्वीकार करना भी बहुत दुरूह कार्य है। लोग क्या कहेंगे से बाहर आना भी हिम्मत का काम है। बधाई इस सुन्दर लघुकथा के लिए।
सही कहा आपने आपने आदरणीया डॉ नीरज शर्मा जी, बदली हुई वस्तुस्थिति को सहज रूप से स्वीकार करना आसान नहीं| हृदय से आभार आपका, आपकी सकारात्मक टिप्पणी ने मेरा मनोबल बढाया है|
आदरणीय चंद्रेश कुमार छतलानी जी, बहुत शानदार लघुकथा बनी है। इंसान अपनी कमियों को छुपाने की कोशिश करता रहता है जिसके कारण वो बहुत सारा समय इसी काम में खराब कर देता है और आर्थिक और मानसिक रूप से पिछड़ जाता है। अपनी कमियों को कबूल करके हिम्मत से अपना सामान्य जीवन जीना चाहिए। एक प्रेरणादायक लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय विनोद जी सर, लघुकथा में निहित सन्देश को जानकर आपने इस टिप्पणी द्वारा मेरी हौसला अफज़ाई की है, मैं आपका दिली शुक्रगुज़ार हूँ|
सच्ची बहादुरी अथवा मन से बहादुर होना यही है बहादुरी की परिभाषा वाह्ह्ह कथानक ,कथ्य सम्प्रेषण प्रेरणादायी सभी बिन्दुओं पर कसी सशक्त लघु कथा बहुत पसंद आई दिल से बधाई लीजिये चंद्रेश जी
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