For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

Views: 73924

Reply to This

Replies to This Discussion

तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सुशील सरना जी। कविता, आखों और मानव जीवन पर यथार्थपूर्ण बढ़िया रचनायें। हार्दिक बधाई और आभार।

आदरणीय शेख उस्मानी साहिब, आदाब आपकी शुभकामनों एवं बधाई का दिल से शुक्रिया।

जनाब सुशील सरना जी आदाब,कविता बहुत प्रभावशाली है,इस उपलब्धि पर आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ ।

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... आपकी दिली मुबारकबाद का दिल शुक्रिया।

माह-ए-रमद़ान/रमज़ान की पवित्र आमद पर सम्मानित ओबीओ परिवारजन को तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद।

[कृपया नुक्ते वाले "द़" का उच्चारण अरबी भाषा वग़ैरह में नुक़्ते वाले "ज़" के नज़दीक बताया गया है भाषा-विज्ञान/धवन-विज्ञान/फोनेटिक्स में। कुछ सोशल मीडिया की ग़लत जानकारी (रमद़ान= ध्यान) को उपेक्षित कीजिए]

ये फ़र्क़ इसलिये है कि अरबी भाषा में "दुवाद" बोलते हैं और उर्दू में इसे "ज़ुवाद" बोलते हैं,(लिखने में एक जैसे ही लिखे जाते हैं)इसलिये अरबी में "रमदान" और उर्दू में "रमज़ान" बोला जाता है,आपको भी रमज़ानुल मुबारक की हार्दिक बधाई ।

आज मेरी उम्मीद पूरी कर दी आपकी जानकारी ने। तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब।

ये स्पष्ट करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी मैं भी इसके बाबत सोचती थी |

दोस्तो आदाब,

आपको ये जानकर बेहद मुसर्रत होगी कि हमारे मंच की सक्रिय सदस्या बहना राजेश कुमारी को 'परिकल्पना हिन्दी संस्थान" लखनऊ की जानिब से उनके लघुकथा संग्रह "गुल्लक" को मॉरीशस में सम्मानित व पुरुस्कृत करने की घोषणा की गई है,ये बहना राजेश कुमारी के और ओबीओ लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है,मैं अपनी और मंच की जानिब से बहना राजेश कुमारी को बहुत बहुत मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

आदरणीय समर भाई जी , मेरी इस उपलब्धि पर ओबीओ विशेषकर आदरणीय योगराज प्रभाकर जी ,ओबिओ परिवार के समस्त रचनाकार जो मेरे भाई बहन हैं उनका हक़ है .माँ सरस्वती व् आप जैसे बड़े भाई का सर पर सदा आशीष भरा हाथ रहा जिसके लिए मेरा नमन स्वीकार करें |जल्द ही मोरिशस से औपचारिक निमन्त्रण आएगा उसे साझा करुँगी .

जी,अवश्य ।

Pres%20note.pdf   भाई जी ये औपचारिक घोषणा पत्र आ गया है|  एक सत्र में मुझे विशिष्ठ अतिथि वक्ता के तौर पर हिंदी साहित्य में महिलाओं का योगदान पर बोलना है|  

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
23 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
yesterday
Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service