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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

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आदरणीय सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा जी,

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

आदरणीय सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के समस्त सदस्यों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.....

ओबीओ परिवार के सभी सम्मानित सदस्यों व शुभचिंतकों को प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं I

धन्यवाद सर 

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ... 

समस्त आत्मीयजनों के लिए यह उत्सव आनन्द और समृद्धि की सौगात ले कर आये.  शुभ-शुभ

धन्यवाद सर

शुभ-शुभ

समस्त ओ बी ओ परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाइयाँ --

दीवाली सा दीवाली त्यौहार कहाँ है
यहाँ टोकना वहाँ रोकना लगा यहाँ है
सारे दाना, नादानी की बातें करते
दिन को ज़हरीला कर देते , रातें हरते

कभी वो पानी की किल्लत है, बतलाते हैं
कभी दूध पानी सा बहता , समझाते हैं
बिकी मीडिया धर्म विरोधी बातें करती
एक लक्ष्य ले, इक तरफा ही घातें करती

इनका क्या है , इनको, अपना पेट है भरना
जैसा मालिक कह दे वैसा भौंका करना
इनका क्या है, आज पकड़ के, कल छोड़ेंगे
फिर कोई त्यौहार हमारा , कल जकड़ेंगे

पहले भी इन जैसे आये , कैसे कैसे
दीपों का त्यौहार मनाओ , चाहे जैसे
मेरे मित्रों , मेरी भी लो खूब बधाई
खूब पटाखे छोड़ो , खाओ खूब मिठाई

***********************************

 

बहुत खूब सार्थक सटीक रचना आदरणीय गिरिराज भंडारी जी। क्या सच्चाई बयान की है ! -
"इनका क्या है , इनको, अपना पेट है भरना
जैसा मालिक कह दे वैसा भौंका करना
इनका क्या है, आज पकड़ के, कल छोड़ेंगे
फिर कोई त्यौहार हमारा , कल जकड़ेंगे
पहले भी इन जैसे आये , कैसे कैसे
दीपों का त्यौहार मनाओ , चाहे जैसे
मेरे मित्रों , मेरी भी लो खूब बधाई
खूब पटाखे छोड़ो , खाओ खूब मिठाई"
दीपावली की हार्दिक बधाई आपको।

अवसर पर सटीक रचना 

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