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एक लघुकथाकार जब अपने इर्द गिर्द घटित घटनाओं के नेपथ्य में विसंगतियों या असंवेदनशीलता को अंदर तक महसूस करता है तब लघुकथा लिखने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान वह उस घटना का हर संभव कोण से विश्लेषण करता है। किन्तु यह भी सत्य है की हर एक घटना लघुकथा में ढाले जाने योग्य नहीं होती। यहाँ स्मरण रखने योग्य बात यह है कि जिस घटना के पीछे कथा-तत्व छुपा हुआ नहीं होता, उससे खबर या रिपोर्ट तो बन सकती है, लघुकथा हरगिज़ नहीं। कोई घटना जब कथानक का रूप ले ले, ऐसे में लघुकथाकार का यह परम कर्यव्य हो जाता है कि वह इसकी गहराई तक जाये और कथानक को कथ्य और तथ्य की कसौटी पर तब तक परखता रहे जब तक एक लघुकथा की साफ़ साफ़ प्रतिच्छाया स्वयं उसके सामने प्रकट न हो जाए।
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भावनाओं में बहकर तत्क्षण लिखी हुई लघुकथा एक अपक्व एवं अप्रौढ़ व्याख्यान से अधिक कुछ नहीं हो सकती। यहाँ तक कि कोई सत्य घटना पर आधारित रचना भी तब तक पूर्ण लघुकथा नहीं बन सकती, जब तक उसके पीछे के सच और तथ्यों से रचनाकार अनभिज्ञ रहता है। इसी अनभिज्ञता के कारण रचनाकार एक अपूर्ण लघुकथा लिख बैठता है, जो कभी भी चिरायु नहीं हो सकती। किसी घटना को ज्यों का त्यों लिख देना सपाट बयानी कहलाता है। एक गंभीर रचनाकार उस घटना को लघुकथा में ढालते हुए अपनी कल्पना और रचनाशीलता का पुट देता है, तब कही जाकर यह सपाट बयानी एक साहित्यिक कृति में परिवर्तित हो पाती है। 

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Replies to This Discussion

जी सर, आपके उदाहरण ने बहुत कुछ समझा  दिया। बहुत बहुत  आभार, नमन

आदरणीय योगराज जी,आपने यह जो कार्य"लघु कथा की कक्षा"आरंभ किया है,उसके लिए सर्व प्रथम आप मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें!आपका यह कार्य हम जैसे नौसिखियों के लिये एक प्रेरक अध्याय साबित होगा!हमारी बहुत सी समस्याओं का हल तो केवल यहां वर्णित टिप्पणियों से ही निकल रहा है!मेरे मन में केवल एक ही प्रश्न है जो कि लघु कथा के आकार के बारे में है!यह टिप्पणी मुझे अकसर मेरी कथाओं पर मिलती है कि कथा को अनावश्यक विस्तार दिया गया है!हालांकि आजकल में इस ओर विशेष ध्यान दे रहा हूं फ़िर भी मैं चाहूंगा कि आप इस विषय पर अपनी गुणी रॉय प्रदान करें!आभार होगा!

लघुकथा के आकार के बारे में कोई सर्वमान्य मानक नहीं है। लेकिन लघुकथा का आकार उसके प्रकार पर निर्भर करता है। लेकिन मेरे विचार से एक आदर्श लघुकथा में अधिकतम शब्द सीमा तक़रीबन ३०० के आस पास हो तो बेहतर रहता है।

आदरणीय योगराज जी, आपके द्वारा दिये गये मार्ग दर्शन का हार्दिक आभार!

आदरणीय योगराज सर, ये सही है कि लघुकथा के आकार विषयक कोई सर्वमान्य मानक नहीं है और आकार लघुकथा के प्रकार पर निर्भर करता है. फिर सभी प्रकार की लघुकथाओं की अधिकतम शब्द सीमा क्या हो सकती है जिसे पार करने पर रचना लघुकथा नहीं रह जायेगी ?

सर जी , एक प्रश्न है लघुकथा लेखन पर कि विसंगतियां तो मनःस्थिति पर भी बनती है । लेकिन ये विसंगतियाँ चिंतन तो देती है लेकिन हल बडा जटिल होता है , या शायद होता ही नहीं है । जैसे कि मेरी कुछ कथाऐं है शक , मक्खन जैसा हाथ या अक्श । मै यहाँ अक्श जैसी कथा के लेखन पर आपसे विचार चाहती हूँ । क्या हमें ऐसी लघुकथाएं जो कि चिंतन को हल की तरफ ना ले जाये ऐसी कथा लिखना चाहिए ? सादर नमन

एक लघुकथाकार किसी घटना/क्षण/समस्या को मेग्नीफाई करके उसको उभारता है। प्राय: समस्या का समाधान देना एक लघुकथा का काम देना नहीं होता। और रचनाओं पर चर्चा के लिए ब्लॉग्स मौजूद हैं। हाँ, उदाहरण स्वरूप किसी रचना का हवाला दिया जा सकता है।  

आप की बातों से हमें सही मार्गदर्शन मिल जाता है हमेशा । अंधेरे में आप रौशनी कर देते है हठात् और मन में छाये सारे धुँध आपके कहे हुए चंद शब्दों से प्रकाशमान होकर छँट जाते है । शत शत नमन सर जी आपको । सदा आपके मार्गदर्शन की अभिलाषी ।

// एक लघुकथाकार किसी घटना/क्षण/समस्या को मेग्नीफाई करके उसको उभारता है। प्राय: समस्या का समाधान देना एक लघुकथा का काम नहीं होता। //

आदरणीय योगराज सर, इस बात से एक प्रश्न मन में उठ रहा है निवेदित है-

क्या लघुकथा के सन्देश में निहित भावना समाधान की नहीं होती है ?

आदरणीय योगराज जी, आपने लघुकथा निर्माण की शुरूआती प्रक्रिया की बहुत बढिया जानकारी दी है। लघुकथा निर्माण में प्लाट का चयन बहुत मायने रखता है अगर प्लाट का सही चुनाव किया है तो लघुकथा में रह गई कमियों को दूर किया जा सकता है लेकिन अगर प्लाट ही सही नहीं है तो उस कथा पर कितनी भी मेहनत कर लें उसको सुधारा नहीं जा सकता है।
इस विषय पर मेरा भी मन कर रहा है कुछ प्रश्न करने का। लघुकथा को मुख्य कितने विषयों में बाटा जा सकता है? और लगातार प्लाट की उत्पत्ति कैसे की जा सकती है?
मैंने अकसर देखा है बहुत अच्छे अच्छे लघुकथाकार कुछ समय के लेखन के बाद प्रायः विलुप्त हो जाते हैं या उनकी लघुकथा लेखन की रूचि ना के बराबर हो जाती है इसके मुख्य कारण क्या होते हैं? एक लघुकथाकार अन्य विधाओं के लेखकों की तरह अपने पूरे जीवन लगातार लघुकथाएँ कैसे लिख सकता है?

//लघुकथा को मुख्य कितने विषयों में बाटा जा सकता है?//
यह बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न है। इस बिंदु पर मेरा एक विस्तृत नोट है, जल्द ही साझा करूँगा।

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//लगातार प्लाट की उत्पत्ति कैसे की जा सकती है?//
आँख और कान खुले रखकर।

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//मैंने अकसर देखा है बहुत अच्छे अच्छे लघुकथाकार कुछ समय के लेखन के बाद प्रायः विलुप्त हो जाते हैं या उनकी लघुकथा लेखन की रूचि ना के बराबर हो जाती है इसके मुख्य कारण क्या होते हैं?//

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बहुत से सही दिशा के अभाव में लिखना छोड़ जाते हैं। कुछ लोग बरसाती मेंढक होते हैं, जो बरसात ख़त्म होते ही शीत-निद्रा में चले जाते हैं। कुछ लोग विधा की बारीकियों को न समझ पाने के कारण स्वयं को असहज महसूस करते हैं। कुछेक मेहनत से डरते हैं तो कुछ लोग पहचान स्थापित न कर पाने की निराशा से मैदान छोड़ जाते हैं। जैसा कि कहा भी गया गया है कि:
Only the fittest can survive. 

आदरणीय सर मैं जानना चाहती हूँ की ऐतिहासिक कहनियों अथवा उपन्यासों में से कोई अंश लेकर उसपर लघुकथा लेखन कितना उपयुक्त होगा ? क्या उससे हम सिमित दायरे में में सिमट कर रह जाएंगे ? क्योंकि घटना क्रम में परिवर्तन करना तो उचित नहीं होगा ।

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