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आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,
खेत-खलिहान की सुंदरता , लाचारगी , थोड़ा प्यार को रेखांकित करती उम्दा ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
मुहतरम जनाब आरिफ़ भाई साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
वाह तस्दीक़ साहब, गजल में क्या खूब रंग भरे हैं। लगभग हर वो बात जो खलिहान में होती है, आपने चंद लब्जों में बयां कर दिया है। आगजनी का डर, जंगली जानवरों का ख़ौफ़, मिलन का बहाना, किसान की पीड़ा....वाह !!!!!
मुहतरम जनाब अरुण साहिब ,ग़ज़ल में आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,प्रदत् विषय को सार्थक करती अच्छी ग़ज़ल हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
छटे शैर में 'जंगली' क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा है क्योंकि बह्र के हिसाब से यहाँ 'जनगली' होगा और इस शब्द का सही उच्चारण है "जँगली"जो बह्र में नहीं आयेगा,देखियेग ।
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ।
आपकी इस बात से मैं मुत्मइन नहीं हूं ,आप लुगात में देख लें ,लफ्ज़ "जंगली" का उच्चारण -जंग-ली ,है न कि "जन गली" मिसरा बह्र में है चाहें तो तकती करके देख लें --सादर
'आ भी जाते हैं मवेशी जंगली खलयान में'
बराह-ए-करम आप इस मिसरे की तक़ती'अ करके बताएं ।
और ये भी बताएं कि व्याकरण की दृष्टि से कौनसा जुमला सही है, 'मवेशी जंगली' या "जंगली मवेशी",'बाबू शहरी' या "शहरी बाबू"?
आ भी जाते हैं मवेशी ---जंगली खलयान में
2 1 22 2 122-- 212 221 2
इस मिसरे के दो टुकड़े हैं , एक टुकड़े के बाद ठहर कर दूसरा टुकड़ा पढ़ें ।
जब एक साथ कहेंगे तो जंगली मवेशी होगा ,यहां दोनों के बीच ठहराव है।
मिसरे की तकती आपके सामने है --सादर
आपने "जंगली" शब्द की कितनी मात्रा ली हैं?
और जुमले के व्याकरण में जुमले में कहीं ठहर पढ़ने की ज़रूरत नहीं होती,अगर "मवेशी जंगली" कहेंगे तो ये जुमला ग़लत होगा ,बिंदू पर गुणीजनों की राय भी चाहूंगा ।
जंगली---212 , यही तकती में भी है ,आप अगर तकती से मुत्मइन नहीं तो कहीं से भी तकती करवा के देख लीजिए ।
तक़ती'अ से मुतमइन हूँ, लेकिन शिल्प और व्याकरण से नहीं ।
क्या "खलयान" शब्द सही है आ० तस्दीक अहमद खान जी?
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