आदरणीय साथिओ,
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बहुत-बहुत आभार सरजी
सक्षम के आगे सब सर झुकाते हैं, बढ़िया रचना विषय पर. बहुत बहुत बधाई आ बबिता गुप्ता जी
बहुत-बहुत आभार सरजी।
वर्तमान मनोवृत्ति का सटीक चित्रण..।सुन्दर लघुकथा..। बधाई..।
हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता गुप्ता जी।बेहतरीन लघुकथा। समय की धार के साथ बदलते लोगों की मानसिकता को उजागर करती सुंदर लघुकथा।
बहुत-बहुत आभार, सरजी।
समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। इसी भाव को व्यक्त करती इस बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय बबीता गुप्ता जी।
बहुत-बहुत आभार सरजी।
कठपुतलियां
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शतरंज की बिसात बिछी हुई थी। काले राजा ने सफेद राजा के घोड़े और ऊंट को मार दिया था। सफेद राजा अपनी पूरी सेना के साथ काले राजा के राज्य में दखल के लिए तैयारी में लगा हुआ था। उसने अपने प्यादे चारों तरफ से काले राजा के राज्य की सीमा पर तैनात कर दिए थे। उसके लिए बस कुछ ही चालों का खेल था। शह और मात बस होने ही वाली थी कि
"चलो, बहुत देर से खेल रहें हैं एक एक ड्रिंक हो जाए।"
"हां चलो, पर तुम्हारे राजा की तो हार निश्चित है इसीलिए भाग जाना चाहते हो" दूसरे ने हंसते हुए कहा।
"छोड़ो भी यार। यह तो हमारा रोज का खेल है। समय व्यतीत करना...।"
"हां तो तुम क्या लोगे?"
"जो तुम ले रहे हो!"
"कभी अपने देश में बुलाओ तो बात बने..।"
"यह तो हमारे डिप्लोमेट तय कर लेंगें। पर अच्छा समय बीता इस अजनबी शहर के होटल में।"
शतरंज की बिसात पर काले राजा और सफेद राजा अपनी सेनाएं लेकर हार जीत की आस में खड़े हैं...।
चलते चलते उन्होंने सफेद राजा के घोड़े को इस प्रकार उठा कर रखा कि बाजी फिर से उलझ गई।
पर तभी अचानक से प्यादों में जान आ गई। अब प्यादे ही कुछ कर सकते थे ।और घमासान युद्ध होने लगा ।
दोनो राजा खडे़ खडे़ देखते रह गए ।
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मौलिक व अप्रकाशित
यह एक प्रतीकात्मक लघुकथा है जहाँ दो राजा दो अलग-अलग विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. लेकिन मजे की बात ये है कि परस्पर विरोधी होने के बावजूद भी दोनों के बीच एक अघोषित साझ अवश्य है. बाहर से प्रतिद्वंद्वी दिखने वाले ये राजा एक सोची-समझी रणनीति के तहत कार्यरत हैं. प्यादे इनकी मर्ज़ी से चलते हैं, मरते हैं मारते हैं. लेकिन जैसे ही नियंत्रण राजाओं के हाथ से प्यादों की हाथ आता है, वे निरंकुश हो जाते हैं और पूरी युद्ध व्यवस्था पर नियंत्रण पा लेते हैं. बहुत ख़ूब! यह लघुकथा प्रदत्त विषय से पूर्ण न्याय कर रही है जिस हेतु आपको बहुत-बहुत बधाई आ० कनक हरलालका जी.
आदरणीय योगराज सर , आपका हार्दिक आभार। कथा पर सकारात्मक सहमति के लिए धन्यवाद.।
आदाब। आदररणीय मंच संचालक महोदय योगराज सर.जी ने बहुत बढ़िया व्याख्या कर समीक्षा के ज़रिए इस संकेतात्मक बेहतरीन रचना में चार चाँद लगा दिये हैं हमें बढ़िया सीखें और मार्गदर्शन प्रदान करते हुए हार्दिक बधाई और आभार आप दोनों के प्रति आदरणीया कनक हरलाल्का जी। आपकी बेहतरीन रचनाओं में एक और शामिल। आज के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय परिदृश्यों, प्रवृत्तियों और माहौल पर बढ़िया तंज!
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