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आदरणीय रवि भसीन जी सादर नमन। प्रदत्त विषय को परिभाषित करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई।
आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा साहिब, सादर नमन। आपकी बधाई और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।
आदरणीय रवि भसीन साहब, आपकी लघुकथा एक बहुत ही गंभीर मुद्दे को सरलता से उठाती है, बहुत ही संदेशपरक लघुकथा हुई है, बहुत बहुत बधाई।
आदरणीय गणेश जी बाग़ी साहिब, लघुकथा पसंद करने के लिए और हौसला बढ़ाने के लिए हृदयतल से आपका आभारी हूँ।
ऐतिहासिक इमारतें हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान के साथ-साथ गुज़िश्ता वक़्त के दस्तावेज़ी सबूत भी हैं. उनकी हिफ़ाज़त की इख़लाक़ी ज़िम्मेवारी हमारी ही है. आपकी इस लघुकथा पर लघुकथा विधा के मर्मज्ञ भाई रवि प्रभाकर जी पहले ही बहुत कुछ कह चुके हैं, जिस पर मेरी भी पूरी सहमति है. भाई उस्मानी जी ने जिस ओर इशारा किया है, वह भी एकदम दुरुस्त है. बहरहाल, आपकी लघुकथा ने प्रभावित किया. आपने प्रदत्त विषय के साथ बेहद खूबसूरती और संजीदगी से न्याय किया है जिसके लिए मेरी दिली बधाई प्रस्तुत है आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' जी.
(बिना आपकी इजाज़त 'ताज महल' को 'ताजमहल' कर दिया है)
आदरणीय योगराज प्रभाकर साहिब, आपको लघु पसंद आई तो मतलब मेरा लिखना सार्थक हो गया। आपके प्रोत्साहन के लिए हृदयतल से आपका आभारी हूँ। और इजाज़त मुझे चाहिए आपसे, कुछ भी लिखने से पहले, आपको नहीं मुहतरम।
हार्दिक बधाई आदरणीय रवि भसीन "शाहिद" साहब जी। आपने दिये गये विषय पर एक बेहतरीन लघुकथा प्रस्तुत की है।वस्तुकला से संबंधित जितनी भी इमारतें हैं, वे सभी इस देश की अमूल्य धरोहर हैं।इनके रख रखाव और सुरक्षा का संपूर्ण दायित्व हम सभी का है।आपकी लेखन शैली अद्भुत है। पुनः बधाई।
आदरणीय तेज वीर सिंह साहिब, आपकी हौसला-अफ़ज़ाई के लिए तह-ए-दिल से आपका आभारी हूँ मुहतरम।
वास्तुकला
प्रदत्त विषय पर बढ़िया लघुकथा कही है आपने आदरणीय रवि भसीन जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
आदरणीय महेंद्र कुमार जी, आपकी बधाई और प्रोत्साहन के लिए हृदयतल से आपका आभारी हूँ।
हमारे तुम्हारे की संकीर्ण सोच से ऊपर आकर अपनी धरोहरों को बचाना है। बहुत सुन्दर लघुकथा सलीके और सरलता से कही गई। हार्दिक बधाई आदरणीय रवि भसीन जी।
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