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स्वागतम
उम्मीद का दामन
'बेटा भगवान पर विश्वास कर,सब व्यवस्था बनेंगी।तू बस मायूस ना हो। '
'पर बाबा,देखिए ना,कहते हैं कि नंबर आने पर मंच के नीचे व्हीलचेयर पर रहना और कोई भी अतिथि महोदय से तुम्हारा पुरूस्कार लेकर तुम्हें दे देगा,'लाचारी से अपने पैरों को देखते हुये अनीशा की ऑखें भर आई।
अनीशा के पिताजी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुये कहा, 'तेरी मेहनत और अतिथि से सम्मान पाने का सपना चूर-चूर नहीं होने दूंगा।'
'मेनेजमेंट भी तो........'
'ऊपर वाले पर विश्वास हैं ना! बस,उम्मीद ना छोड़ना।और हां,अपना नाम सुनते ही बेझिझक आगे आ जाना,मैं आगे से तीसरे नंबर की लाईन में बैठा हूँ।ठीक हैं!'
'हां...बाबा...हां....'मन में अपने को ढांढस बांध और शहरों से आए विद्यार्थियों की कुर्सी के बगल में अपनी व्हीलचेयर लगा ली।
कुछ ही देर में अतिथि महोदय के औपचारिक स्वागत-सत्कार के तत्पश्चात सम्मान समारोह वितरण प्रारंभ हुआ।जैसे-जैसे उसका नंबर नजदीक आता जाता,उसकी घबड़ाहट बढ़ने के साथ-साथ उसका मन डंवाडोल होता पर तुरंत ही बाबा के कहे शब्द उसकी टूटती आस की डोर थाम लेते।
अपना नाम सुनते ही वो बाबा के साथ मंच तक पहुंची ही थी कि बिना कुछ कहे पास में खड़े दो व्यक्तियों ने तुरंत व्हीलचेयर उठाकर मंच पर रख दी।अनायास हुया यह सब किसी चमत्कार से कम नहीं था।
अतिथि महोदय के हाथों पुरूस्कार लेते हुये हाथ कंपकपा रहे थे।अतिथि महोदय से हाथ मिलाते हुये अविस्मरणीय पलों में अनीशा की ऑखें भर आई। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अनीशा अपने बाबा की बात याद हो आई।
मौलिक व अप्रकाशित
बबीता गुप्ता
सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत। लघुकथा गोष्ठी 65 में प्रदत्त विषय को परिभाषित करती दिव्याँग विमर्श विषयक इस बहुत बढ़िया प्रेरक रचना के साथ इस गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। पिताजी द्वारा आशीर्वाद और ढाढस बढ़ाया जाना व ऐसे महत्वपूर्ण पल पर साथ में होना संतान के लिए सौभाग्य की बात होती है। आत्मविश्वास, दृढ़संकल्प और सकारात्मक सोच इस कहावत को चरितार्थ कर देती है कि उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जहाँ चाह, वहाँ राह। ह़िम्मत-ए-मर्दाँ, मदद-ए-ख़ुदा।
कुछ टंकण त्रुटियाँ रह गई हैं।
बहुत-बहुत आभार, आदरणीय सरजी!
हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता गुप्ता जी। आपने लघुकथा गोष्ठी का शुभारंभ एक बेहतरीन लघुकथा से किया।
बहुत-बहुत आभार, सरजी।
उम्मीदें कर्तव्य समर्थित हों, तो सफलता मिलती ही है। लघुकथा हेतु बधाई आ॰ बबीता जी।
बहुत-बहुत आभार, सरजी!
बेहतरीन लघुकथा के लिए आपको हार्दिक बधाई बबिता गुप्ता जी।
बहुत-बहुत आभार, दी!
प्रदत्त विषय पर सुन्दर लघुकथा से गोष्ठी का शुभारंभ करने के लिये हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता जी। सच है जहाँ चाह और हिम्मत वहीं राह। हिम्मत ही हर चमत्कार करती है।
बहुत-बहुत आभार, दी!
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