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हार्दिक आभार आ. नीता कसार जी
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
हार्दिक आभार आ. पजानकी वाही जी
आदरणीय सुधीर जी, किसी के जमीर के जागने की प्रक्रिया को विभिन्न आयामों पर सधे ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा की प्रस्तुति हुई है हार्दिक बधाई
आद. मिथिलेश जी बहुत-बहुत आभार आपका कथा पसंदगी हेतु | सादर
हार्दिक आभार आपका मेरे कहे को मान देने के लिए
आदरणीय सुधीर भाई, बहुत ही संवेदनशील कथानक को जिस सहजता से आपने लिखा है वह प्रसन्नचित्त कर गया । सादर शुभकामनाएं ।
आपकी टिप्पणी सदैव उर्जा का संचार करती है | आपका स्नेहिल हाथ सदैव मेरे मस्तक पर रहे इसी विनती के साथ | आभार सर
शत-प्रतिशत सहमत आ. अर्चना त्रिपाठी जी ! सादर धन्यवाद
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