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आदरणीया रजनीजी, आपका हार्दिक धन्यवाद
हार्दिक धन्यवाद आदरणीया रश्मिजी
आदरणीय सौरभ सर, बहुत मार्मिक पंचलाइन के साथ लघुकथा की प्रस्तुति हुई है. इस शानदार लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई. नमन
आदरणीय मिथिलेश भाई, आपकी तबियत अब कैसी है ? अचानक क्या हुआ ? आप तो दो दिनों पहले ओबीओ पर हमारे साथ बढिया चैट कर रहे थे ! या फिर, तमिळ गाने कुछ अधिक ही कमाल कर रहे हैं ? .. हा हा हा हा........
बीमार होने का दायित्व हम जैसों पर छोड़िये , भाई. आप लोग स्वस्थ रहें..
आपको लघुकथा पसंद आयी यह मेरे लिए भी संतोष की बात है. हार्दिक धन्यवाद भाई
हा हा हा .... प्रणाम सर ... कमर का एलाईमेंट गड़बड़ा गया... बैठने में दिक्कत आ रही है. आप सबकी दुआएं साथ है, जल्द ठीक हो जाऊँगा. वैसे भी आयोजन से दूरी नहीं रखी है बस मजबूरी के कारण छोटी टीप कर रहा हूँ. सादर
प्रतिबद्धता !!! जो इंसान का स्वयं से किया गया हो। एक वक़्त ऐसा आता है की वो मिशाल के तौर पर जाना जाता है।
आदरणीय मिथिलेशभाई, आप शीघ्र स्वस्थ हों. आपकी बड़ी-बड़ी टिप्पणियों की प्रतीक्षा है.. :-))
"अब्बू अपने अम्मी की गोद में सो गए है" इस समझदार माँ ने बच्ची को कितने सरल सहज तरीके से यह समझा दिया जो शब्द आज उसके स्कूल में मातृभूमि शब्द पर भाषण के समय सार्थक होकर गूँज रहे थे | इस तरह का बच्ची को साधा हुआ सरल भाषा में जवाब देना आजाए तो बच्चों में जिज्ञाशा शांत हो जाए | बच्ची ने अपनी अम्मा की गोद में सोने का क्या सीधा अर्थ लिया होगा पर यहाँ माँ के शब्द तो अम्मी का आशय मातृभूमि से ही है | इस दृष्टि से बहुत ही सुंदर भाव संजोये सुंदर लघु कथा रची है आपने आ. सौरभ भाई जी | बहुत बहुत बधाई
आपकी उदार प्रतिक्रिया ने मुझे संबल दिया है, आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी.
आदरणीय सौरभ भाई जी, आपकी कथा आज सुबह ही पढ़ ली थी और आप यकीं करे कथा की अंतिम पंक्ित /अम्मी बोलती हैं.. अब्बू अपनी अम्मी की गोद में सो गये हैं../ पढ़ रीढ़ की हड्डी से एक ठंडी सी सिरहन उठी। पूरा एक चलचित्र सा घूम गया। कैसे एक सात साल की बच्ची ने ठंडे स्वर में कहा होगा .. अब्बू अपनी अम्मी की गोद में सो गये हैं..। उफ ! प्रयत विधेय को सर्वशस् प्रतिसृष्ट करती इस अत्यंत निबिड कथा के उत्क्षेप हेतु ह्दय से शुभकामनाएं । सादर
भाई रवि जी, आपने जिन शब्दों में प्रस्तुति को मान दिया है वह लघुकथा के होने पर मुखर अनुमोदन है. हार्दिक धन्यवाद.
आपकी टिप्पणी की अंतिम पंक्ति तत्सम शब्दों की एक खूबसूरत लड़ी है. वाह ! अप्रतिम !
किन्तु टंकण त्रुटियों के प्रति ध्यान होना था.
रचना पर मुखर अनुमोदन के लिए पुनः धन्यवाद, रवि भाई.
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