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आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आप ने बहुत ही उम्दा बात कही है. बधाई. // आप की तबियत कैसी है ?//
आरक्षण के साथ साथ जातिवाद पर भी एक करारी चोट की है बहुत अच्छी लघु कथा मिथिलेश भैया पञ्च लाइन शानदार हुई है |बहुत बहुत बधाई
आदरणीय मिथिलेश भाई जी, दोनों पक्षों के अंतस की पीड़ा का अनुभव करवाती और प्रयत विधेय को सर्वशस् समाकीर्ण करती इस परिनिष्पन्न व घनीभूत लघुकथा के उत्क्षेप हेतु अपार शुभकामनाएं । वैसे अायोजन का फीता काटते हुए आप ही अच्छे लगत हो । सादर
सार्थक,सटीक एवं संक्षिप्त !! प्रत्युत्तर ने निरुत्तर कर दिया आदरणीय ! हृदय से बधाई ! सादर
हार्दिक बधाई आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी!एक गंभीर मसले को कितनी सरल लघुकथा के रूप में परोस दिया आपने!वाह, बेहद खूबसूरत!
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