For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-71 (विषय: दौड़)

आदरणीय साथियो,
सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-71 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-71
विषय: "दौड़"
अवधि : 27-02-2021 से 28-02-2021
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फ़ॉन्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाए रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाएँ इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद ग़ायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आसपास ही मँडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया क़तई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा ग़लत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फ़ोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2883

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

प्रेरक रचना।बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय अतुल सरजी।

              "दौड़, समय से"

अभी  तो परीक्षा  के  पाँच महीने हैं, मुझे आप  केवल  चार  माह  दे दीजिए,  आपकी बेटी शत- प्रतिशत  नहीं पिचानवे  प्रतिशत  अंकों  से अंग्रेजी  विषय की परीक्षा  ज़रूर  पास  कर लेगी। लेकिन  न तो माँ और न, ही उसकी  बेटी, मेरी  बात  सुनने  को तैयार  थे। और, आज कृति अपने  पापा जी को भी  ले आई थी। 

अजीब  बात  थी,  ...पैंतालीस  साल के शिक्षण काल में जो जद्दोजहद  माँ बाप  में लड़कियों की शिक्षा के प्रति  आज देख रहा  था, अभूतपूर्व  थी.... ! पिछले कई  वर्षों  में  न देखी  और सुनी थी! शायद  "लड़कियाँ पढ़ाएं, देश बचाओ " का संकल्प फिर चढ़ कर बोल रहा था.......!

मौलिक व अप्रकाशित 

सादर नमस्कार। विषयांतर्गत महत्वपूर्ण विषय पर कम शब्दों में बड़ी बात कही है आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय चेतन प्रकाश जी। लेकिन पोस्ट करते समय फॉर्मेट में अंडरलाइन हो गये हैं वाक्य। पूर्व का दृश्य और वर्तमान दृश्य शाब्दिक किया गया है। किंतु आरंभिक संवाद में इंवर्टिड कौमाज़ नहीं टंकित हुए हैं व अस्पष्टता है मेरी पाठकीय दृष्टि में। /उसकी बेटी/.. किसकी? कृति कौन है? वही बेटी या अन्य? / "लड़कियाँ पढ़ाएं, देश बचाओ "/ अथवा // "बेटी पढ़ाओ, देश बचाओ "//?

सकारात्मक भाव लिये रचना के लिये बधाई आदरणीय

आ. भाई चेतन जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

बेहतरीन रचना। बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय चेतन सरजी। 

लघुकथा- सीढ़ी

उनके दिन के चैन के साथ, रातों की नींद भी उड़ गई थी.एक वायरल वीडियो ने महज चंद दिनों में ही उनकी बुलंदी को अर्श से फर्श पर ला दिया था.उसे बचाने उन्होंने क्या कुछ नहीं किया,...मीडिया कांफ्रेंस रखी,...खुला मंच रखकर घोषणा पत्र जारी किया,..और भी बहुत कुछ,...पर वे अपने व्यापार को डूबने से न बचा पाए.दशकों से कमाई इज्जत चंद दिनों में धूल हो गई और वे कुछ न कर सके थे.एक आखिरी कोशिश के लिए आखिर वहाँ पहुॅंच ही गए जहाँ वे जाना नहीं चाहते थे.
"तुम्हारा मैंने क्या बिगाड़ा है?"
"जी,...मैं कुछ समझा नहीं? "
"मेरी कंपनी के उत्पाद एकदम शुद्ध हैं.उनमें कोई मिलावट नहीं है.यह देखो इंडियन लैबोरेट्री का प्रमाण पत्र."
"ये आप मुझे नहीं जनता को जाकर दिखाइए."
"जनता सबूतों को कहाँ देखती है,...उसके लिए तो उसके प्रिय अभिनेता ने जो बोल दिया उनके लिए वही सच हो जाता है.इसलिए यह सबूत मैं आपको दिखाने लाया हूंँ कि शायद आप..."
"सर इनकी जरूरत नहीं है.मैं जानता हूंँ, आपकी ईमानदारी को." जवाब सुनकर वे प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगे.
"हाॅं,...भाई सच कह रहा हूंँ विश्वास न हो तो देख लो आप के ब्रांड के प्रोडक्ट ही मैं स्तेमाल करता हूंँ."
" अच्छा?...तो फिर आपने ऐसी झूठा विज्ञापन क्यों किया? "
"वह क्या है न सर,...आजकल मेरा करियर कुछ खास आगे बढ़ नहीं रहा था,...इसलिए!..."
" आपने अपना करियर आगे बढ़ाने के लिए मेरे दादाजी के नाम के ब्रांड को बदनाम कर दिया."कहते हुए उनकी आॅंखों में नमी तैर गई "अगर ऐसा था तो, मैं ही क्यों?...किसी बेईमानी करने वाले को चुनते."
"वह क्या है न सर? बेईमान को बेईमान कहने से वह पब्लिसिटी नहीं मिलती जो ईमानदार को बेईमान..."-कहते हुए वह ढिठाई से हॅंसने लगा.

(मौलिक, अप्रकाशित)
आदाब। मंच समूह पर हार्दिक स्वागत आदरणीया अर्चना राय साहिबा आपका और विषयांतर्गत आपकी इस बेहतरीन रचना का। बेहतरीन शीर्षक के साथ उम्दा रचना। उपभोक्तावाद, धन कमाने की अनियंत्रित दौड़ और होड़ में ऐसी सीढ़ियाँ भी लोग थाम लेते हैं; चढ़ जाते हैं, लेकिन ज़मीर को गिराते हुए। ईमानदारी और सच्चाई के साथ यही तो हो रहा है न! डॉट्स का प्रयोग यथासंभव अनिवार्य होने पर.ही कम से कम करने का सुझाव हमें दिया जाता है। सादर।

वाह हर रोज नये मानको के आधार पर अपनी सहूलियतों के अनुसार उत्पादों को गिराया उठाया जा रहा है मीडिया द्वारा। प्रदत्त विषय पर शानदार रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया अर्चना राय जी

आ. अर्चना जी, अभिवादन । अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

बहुत बढ़िया रचना। बहुत-बहुत बधाई, आदरणीया अर्चना जी। 

वो दो
____


मुझे नहीं पता मेरी उम्र क्या है। बरसों से यहीं हूँ।इतना याद है कि मेरे आसपास ये पार्क और बिल्डिंगें पिछले कुछ सालों में ही बनी हैं। इन्सानों के साथ रहते हुए उनकी सबसे बड़ी कमज़ोरी 'लगाव' मेरे अन्दर भी आ गई है। इन दोनो से बहुत लगाव हो गया है मुझे। छोटी निक्करें पहनें मेरे इर्द गिर्द दौड़ते थे, तब से देख रहा हूँ इन्हें।
" चल लगी रेस! कौन बरगद को पहले छुए"
 मुझे छूने में हर बार की तरह छोटू फिर पीछे रह गया, लंबू जीत गया।
 "तेरे हिन्दी में कितने आये? मेरे नौ दस में से।"
"छः, पर गणित में आठ आये।"
" मेरे गणित में  पूरे दस " 
जब दोनो पैंट में आये तो लगा शायद छोटू यहाँ आगे निकल जायगा पर यहाँ भी लंबू ने बाजी मार ली।
" पागल! कल जब उसने किताब माँगी थी, तो चुपके से किताब में रखकर दे देता चिट्ठी"
" नहीं हो पाया यार! वैसे तूने क्या तीर मार लिये?"
लो! दो महीने पहले दे दी चिट्ठी। तूने नोटिस नहीं किया मुझे देखकर शर्मा जाती है आजकल।"
 मुझे उन दोनो की बातें गुदगुदाती भी थीं और छोटू की सुस्ती पर गुस्सा भी आता था।
 बुढ़ापा आ गया दोनो का पर  छोटू  फिर भी पीछे
" आज कितने राउँड किये पार्क के?
" पाँच, आज ज्यादा दर्द  है घुटनों में"
" मुझे देख! रोज हर हाल में बीस पूरे करता हूँ। कल शाम को क्यों नहीं आया?"
" बेटे ने गाड़ी ली है।  घुमाने ले गया था"
" अब जाकर ली है गाड़ी! मेरे विभु ने पिछले महिने दूसरी ली है अपनी वाइफ के लिये।"
 आज बस लंबू आया है और उदास है। फोन में किसी से बात कर रहा है "वो नालायक हर बात में  मुझसे पीछे था और आज आगे निकल गया। मुझसे पहले दौड़ कर दुनिया से गोल हो गया।"
 वो सुबक रहा है। मैं भी उदास हूँ। लगाव की बीमारी जो लगा ली है।


मौलिक व अप्रकाशित

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
18 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
20 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आयोजन में आपकी उपस्थिति का स्वागत है.   एक बात समझ में नहीं आयी, कि…"
28 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, कुण्डलिया छंद में निबद्ध आपकी रचनाओं से आयोजन का स्वागत है. इस आधार…"
37 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद  _____ सावन रिमझिम आ गया, सड़कें बनतीं ताल। पैदल लोगों का हुआ, बड़ा बुरा है…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया * पानी-पानी  हो  गया, जब आयी बरसात। सूरज बादल में छिपा, दिवस हुआ है रात।। दिवस…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service