आदरणीय साथिओ,
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शेख़ साहब, यह लघुकथा तो पहली लघुकथा की ही रिफाइंड कॉपी लग रही है और सच कहूं तो बेहतर भी. लघुकथा पसंद आयी, बहुत बहुत बधाई।
आदाब। रचना पटल पर आपकी गौरवमयी उपस्थिति और गोष्ठी में मार्गदर्शक व प्रोत्साहक टिप्पणियों हेतु हार्दिक धन्यवाद। आपको /पहली लघुकथा की ही रिफाइंड व बेहतर कॉपी लग रही है/ ..संभव है लगना। लेकिन ध्यान दीजिएगा कि पात्र व परिदृश्य भिन्न हैं व प्रस्तुति और संदेश समान नहीं हैं। मैंने पृथक पाँच लघुकथायें कहीं है। जिन्हें पृथक शृंखला/ऐपीसोड कहा जा सकता है। रचनायें पृथक व क्रमागत हैं... रिफाइंड कॉपी नहीं । दो पृथक प्रयास हैं एक-डेढ़ माह की अवधि में। शेष फेसबुक पर हैं। सादर अवलोकनार्थ।
आपको यह वाला प्रयास बेहतर लगा, मेरी हौसला आफ़ज़ाई हुई... राय से लाभान्वित हुआ। शुक्रिया।
वाह। किन्नर विषयक गोष्ठी की एक और बढ़िया लघुकथा। हार्दिक बधाई आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी।
हार्दिक बधाई आदरणीय विभा रानी जी । बेहतरीन लघुकथा।
आ. विभा जी, दूसरी प्रस्तुति भी अच्छी हुई है । हार्दिक बधाई ।
दीदी अच्छी लघुकथा हुई है बस तनिक वाक्य विन्यास को और मांजने की जरुरत है, कुछ अधिक शब्दों को छाटने की भी जरुरत है, जैसे .....
//"उठो और देखो इतनी भोर में कौन आ गया?" दरवाजे पर पड़ रहे थपथपाने की आवाज से जगी माँ ने गिन्नी से कहा।
दरवाजे में जंजीर को फँसाये हुए ही खोलते हुए गिन्नी ने पूछा , "कौन हैं?"//
"गिन्नी बेटा ज़रा देखो तो इतनी भोर में कौन आ गया?"
"कौन हैं?" दरवाजा खोलते गिन्नी ने पूछा।
लघुकथा अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई।
लघुकथा- आप की कसम
"मुझे चार लाख में खरीदा था। बीस लाख की रजिस्ट्री करवाई थी।"
" हां! मैं जानती हूं," उसके पास फड़ी हुई दूसरी जमीन ने कहा, " मुझे बेकार की जमीन घोषित करके और मेरे मालिक की मजबूरी का फायदा उठा कर मुझे भी सस्ते में खरीदा गया था।"
" अब देखो वह, कैसे और क्या-क्या झूठ कह रहा है?" पहली जमीन ने उसे सामने की ओर इशारा किया।
" हां साला, अव्वल दर्जे का कसाई है। खरीदार की कसम खाकर कह रहा है- आप की कसम ! यह जमीन मैं ने पच्चीस लाख रुपए में खरीदी थी।"
"हां, तूने सही कहा।" पहली जमीन ने कहा, " यदि यह मेरे मालिक को जमीन के उचित दाम दे देता तो वे आपरेशन करवा कर आज जिंदा होते ?"
"अब बुढ़ापे में भी वही पाप कर रहा है। कभी न कभी फल भुगतेगा साला।"
" नहीं भाई, कसाई को पाप कभी नहीं लगता है," पहली जमीन ने कहा।
यह सुनते ही दूसरी जमीन चुप हो गई।
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मौलिक और अप्रकाशित
हार्दिक बधाई आदरणीय । बेहतरीन लघुकथा । सार्थक सन्देश।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपको लघुकथा अच्छी लगी। इस हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय ।
जमीन को लेकर भ्रष्टाचार पर अच्छी लघुकथा आदरणीय। हार्दिक बधाई
आदरणीय प्रतिभा पांडे जी आपको मेरी लघुकथा पसंद आई इसके लिए आपका हार्दिक आभार
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