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आदरणीय बुंदेलखण्डी बोली में प्रयास किया है ।बडी़ मीठी बोली है ।
बड़ी बड़ी खुशियाँ हैं छोटी छोटी बातों में ,वाह सुंदर रचना आदरणीय पवन जैन जी .
वाह वाह वाह !! बहुत ही मासूम सी लघुकथा कही है आ० पवन जैन जी I मैं पहले भी अर्ज़ कर चुका हूँ कि असली लघुकथा वह जो आँखों के सामने चलचित्र की तरह दौड़ जाए, आपकी यह रचना ऐसा करने में सफल रही है I मेरी ढेरों ढेर मुबारकबाद स्वीकार करें I
बहुत प्यारी रचना प्रदत्त विषय पर , आंचलिकता की सोंधी मिटटी सी खुशबु जैसी | बहुत बहुत बधाई आपको
वाह आ० पवन जी कितने सहज भाव से इतनी बड़ी बात...
//ओवर टेम पे तो बच्चों ही को हक है ।""हमें का ,और हमारी का इच्छा ? हमारे तो सिर पे छप्पर बनी रय और दो टेम की रोटी मिलत रय ,और का करने।"
हमने तो सुख दुख में प्रेम से रहबे की कसम खाई है बा निभ रई भगवान भरोसे//
इन पंक्तियों में कथा का ही नहीं, हर विवाहित जोड़े,हर माता-पिता के जीवन का भी सार है.. ह्रदय तल से बधाई आपको इस कथा पर..
आदरणीय आभार ।
आभार आदरणीय ।
हार्दिक बधाई आदरणीय पवन जैन जी !मन के कोने कोने से वाह वाही निकल रही है!कितनी सरल भाषा में कितनी गूढ बात लिख दी!सच में मज़ा आ गया!
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