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आ० अर्चना जी -- अच्छी कथा . अतिमहत्वाकांक्षा का यही फल होता है .
कुत्सित अभिलाषा और अनैतिक आकांक्षाओं की गति ऐसी ही होती है। बहुत ही प्रभावी लघुकथा बन पड़ी है आपकी आदरणीया अर्चना जी। बधाई स्वीकार करें।
आदरणिया अर्चना जी , दिल को छू लेने वाली अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई
इस रचना की पंचलाइन में कितनी सच्ची बात कही है आपने आदरणीया अर्चना जी, "आकांक्षाओं के पंखों की कोई सीमा नहीं होती।" दायरे से बाहर किसी को भी आन्तरिक सुख नहीं मिल सकता| कृपया सादर बधाई स्वीकार करें|
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