For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक १९ (Now closed with 1021 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,

"ओबीओ लाईव महा उत्सव" के १९ वे अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. पिछले १८ कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने १८   विभिन्न विषयों पर बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १९     

.
विषय - "गाँव"

आयोजन की अवधि- ८ मई २०१२ मंगलवार से १० मई २०१२ गुरूवार तक  

तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपनी कल्पना को हकीकत का रूप, बात बेशक छोटी हो लेकिन घाव गंभीर करने वाली हो तो बात का लुत्फ़ दोबाला हो जाए. महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: -

  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि) 



अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- १९ में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ  ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |


(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो मंगलवार ८ मई लगते ही खोल दिया जायेगा ) 


यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

Views: 16886

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

११ दोहे आप सभी के समक्ष रख रहा हूँ.....सभी का आशीर्वाद चाहूँगा .......

.

.

सहता भारत गाँव में, निर्धनता की धूप

इसी धरा के हैं ऋणी, आज बने जो भूप  (१)

गाँव में मेहमान को, समझें है भगवान् 
शहरी बच्चे आज भी, इन सबसे अनजान (२)

शुद्ध हवा पानी बिना, शहर बने निर्जीव
चलें गाँव की राह पर, जीवन जहाँ सजीव (३)

पूरी दुनिया देख ली, भटके बस्ती गाँव
याद हमें आती रही, पीपल की ही छाँव (४)

ये तो साची बात है, गावों में भगवान

लेकिन घटते जा रहे, शहरों में इन्सान  (५)


सौंधी मिट्टी गाँव की, है दाता की दात  
टीका कीजे भाल पे, अद्भुत ये सौगात  (६)

याद सदा आता रहा, दूर देस भी गाँव
गली मोहल्ले खेल के, थके नहीं थे पाँव (७)

लालटेन की रौशनी, है झींगुर का शोर
मच्छर का उत्पात भी, चैन मगर सब ओर (८) 

खेत मिटे टावर बने, कहाँ रहा अब गाँव
जो पहले गुरु ग्राम था, आज हुआ गुड़गाँव (९)

रहने को धरती नहीं, जनता करती शोर
धरम सदा कहते रहे, चलो गाँव की और (१०)

 

अंतरजाली डाल पर, सब खग करें विहान,
जगत घटा छोटा हुआ, है अब गाँव समान (११)

धर्मेन्द्र शर्मा

भाई धरमजी, आपके दोहे आप द्वारा हुई विधा पर मिहनत की मिसाल आप हैं.

गाँव के विविध रूपों को आपने स्वर दिया है. यह तथ्य आपके प्रयास की सफलता का द्योतक है. दोहा छंद के शिल्प और उसके कथ्य दोनों पर मेरा सादर धन्यवाद और बधाई स्वीकार करें.

गांव के हर स्वरूप को, दिया ’धरम’ ने मान
जितना  सुन्दर छंद  है,  उतना सुन्दर भान

 

पुनश्च, बधाई

 

उत्साहवर्धन के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुजार हूँ आदरणीय....आपको रचना पसंद आई, मेरा श्रम सार्थक हो गया.

आदरणीय सौरभ जी ! आपके निम्नलिखित  दोहे में मेरी भी सहमति है .........

"हर स्वरूप को गांव के , दिया ’धरम’ ने मान
जितना  सुन्दर छंद  है,  उतना सुन्दर भान"

सादर

वाह जी वाह, निखार पे निखार....मान गए दोहों के 'जेम्स बोंड' जी.....बहुत बहुत आभार आपका...

सहता भारत गाँव में, निर्धनता की धूप

इसी धरा के हैं ऋणी, आज बने जो भूप  (१)

पूरी दुनिया देख ली, भटके बस्ती गाँव

याद हमें आती रही, पीपल की ही छाँव (४

खेत मिटे टावर बने, कहाँ रहा अब गाँव

 जो पहले गुरु ग्राम था, आज हुआ गुड़गाँव (९) 

आदरणीय धरम जी .......... पास होते तो आपका वह हाथ चूम लेता जो कलम थामता है ........... आपकी लेखनी को सलाम मित्रवर

आदरणीय सतीश जी, आपने तो मेरे उत्साह को दो गुना कर दिया है. किन शब्दों में आपका आभार व्यक्त करूँ.

आदरणीय धरम जी ,
हर दोहा बहुत सुन्दर है,
इस दोहे के लिए विशेष बधाई
 

ये तो साची बात है, गावों में भगवान

लेकिन घटते जा रहे, शहरों में इन्सान 

आदरणीया डॉ. प्राची, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

सौंधी मिट्टी गाँव की, है दाता की दात   
टीका कीजे भाल पे, अद्भुत ये सौगात  (६) 

लालटेन की रौशनी, है झींगुर का शोर
मच्छर का उत्पात भी, चैन मगर सब ओर (८)  

धर्मेन्द्र शर्मा जी आपके दोहों ने तो सचमुच धूम मचा दी और इन दो दोहों ने तो गाँव की सारी रूप रेखा ही बता दी आपको बहुत बधाई 

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपको दोहे पसंद आये, मेरा श्रम सार्थक हो गया....आशीर्वाद बनाए रखिये.

धरम लिखे सो बढ़ गयी, आज गाँव की शान

काली माटी का किया , ऐसा गौरव गान ||

bahut hi sundar baat kahi aapne in dohon me sir ji ............waah waah kya baat hai

aapka bahut bahut dhanyvaad

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. चेतन प्रकाश जी..ख़ुर्शीद (सूरज) ..उगता है अत: मेरा शब्द चयन सहीह है.भूखे को किसी ही…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला बहुत खूबसूरत हुआ,  आदरणीय भाई,  नीलेश ' नूर! दूसरा शे'र भी कुछ कम नहीं…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
". तू है तो तेरा जलवा दिखाने के लिए आ नफ़रत को ख़ुदाया! तू मिटाने के लिए आ. . ज़ुल्मत ने किया घर तेरे…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. लक्ष्मण जी,मतला भरपूर हुआ है .. जिसके लिए बधाई.अन्य शेर थोडा बहुत पुनरीक्षण मांग रहे…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. आज़ी तमाम भाई,मतला जैसा आ. तिलकराज सर ने बताया, हो नहीं पाया है. आपको इसे पुन: कहने का प्रयास…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122**भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आइन्सान को इन्सान बनाने के लिए आ।१।*धरती पे…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी…"
11 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"२२१ १२२१ १२२१ १२२ ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )

चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
14 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
19 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर ज़र्रा नवाज़ी का सादर"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service