परम आत्मीय स्वजन,
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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 38 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार से मुशायरे के नियमों में कई परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें | इस बार का तरही मिसरा, ग़ज़ल के पर्याय मिर्ज़ा ग़ालिब की एक ग़ज़ल से लिया गया है, पेश है मिसरा-ए-तरह...
"क्या बने बात जहां बात बनाये न बने"
क्या/2/ब/1/ने/2/बा/2 त/1/ज/1/हाँ/2/बा/2 त/1/ब/1/ना/2/ये/2 न/1/ब/1/ने/2
2122 1122 1122 112
फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फइलुन
(बह्र: रमल मुसम्मन् मख्बून मक्तुअ )
मुशायरे की अवधि घटाकर अब केवल दो दिन कर दी गई है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 अगस्त दिन बुधवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 29 अगस्त दिन गुरुवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।
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मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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बढ़िया गज़ल के लिये बधाई..........
वाह भाई आप भी हैं इस बार ... आने में ज़रा देर हो गई
बहुत शानदार ग़ज़ल कही है
बधाई
गम छुपाये न बने जख्म दिखाये न बने,
आह जब पीर बढ़े वक़्त बिताये न बने,
रेशमी जुल्फ घनी, नैन भरे काली घटा,
संगमरमर सा बदन हाय भुलाये न बने,
शबनमी होंठ गुलाबों से अधिक कोमल हैं,
सेतु तारीफ का मुश्किल है बनाये न बने,
रातरानी सी है मुस्कान खिली होंठों पर,
हुस्न कातिल ये तेरा जान बचाये न बने
मौत जिद पे है अड़ी साथ लेके जाने को,
क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने...
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बहुत खूब भाई अरुन कुमार अनंत जी, सुन्दर ग़ज़ल कही है. पाँचों अश'आर वज़्नो बहर पर तो ठीक लग रहे हैं, भाव भी बढ़िया हैं, लेकिन कहन के लिहाज से अभी उन पर और वक़्त देना चाहिए था. बहरहाल इस सद्प्रयास पर मेरी बधाई स्वीकार करें.
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज सर जी आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये. प्रयासरत हूँ आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतर सकूँ.
अपने मिजाज़ की ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई.
शुभकामनाएँ और बधाइयाँ .. .
हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ सर जी आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आयहाय.....! वाह क्या बात है! आपको हार्दिक बधाई!
दिल को सम्हालिए भाई! :)))))))))))))
हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय बृजेश भाई जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.
बहुत बढ़िया कोमल एहसास से लबरेज़ ग़ज़ल दिल से बधाई प्रिय अरुन शर्मा '
हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी, आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.
गम छुपाये न बने जख्म दिखाये न बने,
आह जब पीर बढ़े वक़्त बिताये न बने,.........वाह ! बहुत खूब , जानलेवा मतले से शुरुआत
शबनमी होंठ गुलाबों से अधिक कोमल हैं,
सेतु तारीफ का मुश्किल है बनाये न बने,.......क्या कहने , तारीफ ... जिसके सेतु न बने
रातरानी सी है मुस्कान खिली होंठों पर,
हुस्न कातिल ये तेरा जान बचाये न बने.........वाह जी वाह , बहुत खूब
बेहतरीन गजल पर ,दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय अरुण अनंत जी
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