For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १३ (Now closed with 762 Reply)

परम आत्मीय स्वजन,
पिछले दिनों "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" तथा "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता में आप सभी ने जम कर लुत्फ़ उठाया है उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १३ और इस बार का तरही मिसरा जालंधर के प्रसिद्ध शायर जनाब सुदर्शन फाकिर साहब की गज़ल से हम सबकी कलम आज़माइश के लिए चुना गया है | तो आइये अपनी ख़ूबसूरत ग़ज़लों से मुशायरे को बुलंदियों तक पहुंचा दें |

चलो ज़िन्दगी को मोहब्बत बना दें
फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन
१२२ १२२ १२२ १२२  
बहरे मुतकारिब मुसम्मन सालिम

कफिया: आ की मात्रा (बना, सजा, सिखा आदि)
रदीफ: दें

इस बह्र पर हम पहले भी तरही मुशायरा आयोजित कर चुके हैं अगर आप चाहें तो उसे यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं इससे बह्र को समझने में बहुत आसानी होगी| 

विनम्र निवेदन: कृपया दिए गए रदीफ और काफिये पर ही अपनी गज़ल भेजें | यदि नए लोगों को रदीफ काफिये समझने में दिक्कत हो रही हो तो आदरणीय तिलक राज कपूर जी की कक्षा में यहाँ पर क्लिक कर प्रवेश ले लें और पुराने पाठों को ठीक से पढ़ लें| 

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २९ जुलाई दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३१ जुलाई रविवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन से जुड़े सभी सदस्यों ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक १३ जो तीन दिनों तक चलेगा , जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में  प्रति सदस्य अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं |  साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |


नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१३ के दौरान अपनी ग़ज़ल पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी ग़ज़ल एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर २९  जुलाई से पहले भी भेज सकते है, योग्य ग़ज़ल को आपके नाम से ही "OBO लाइव तरही मुशायरा" प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

फिलहाल Reply बॉक्स बंद रहेगा, मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |
"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह

Views: 10016

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत बहुत स्वागत है भाई साहब,

 

//आपके इस मंच को प्रणाम है … इस आयोजन की जितनी प्रशंसा करूं , कम है //

 

बस एक संसोधन चाहूँगा भाई साहब ........

 

अपने इस मंच को प्रणाम है … इस आयोजन की जितनी प्रशंसा करूं , कम है । 

 

धन्यवाद |

//किसे बद्’दुआ दें , किसे हम दुआ दें

सभी एक हैं ; नाम क्या अलहदा दें//


बहुत खूब - सुन्दर मतला सुन्दर सन्देश !

 

//फ़रेबो-दग़ा मक्र मतलबपरस्ती

यही सब जहां है तो तीली लगादें//


वाह - बही खूब, ऐसी भावना एक हस्सास तबीयत शायर के ज़ेहन में आ जाना गैर-कुदरती नहीं !


//कहां खो गए लोग कहते थे जो यूं-

‘चलो ज़िंदगी को मुहब्बत बनादें’//


अय हय हय हय - गज़ब गज़ब गज़ब ! गिरह इस तरह भी लगाई जा सकती है, ये तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा ! वाह वाह वाह वाह वाह !


//तसल्ली सुकूं चैन कुछ भी नहीं है

कहां सर झुकादें … कहां सर कटादें//


जवाब नहीं सर - बहुत खूब !


//नहीं हमको आता नज़र कोई काबिल

किसी में हो कूव्वत ; उसे ग़म सुनादें//


बहुत खूब !


//न रोने से फ़ुरसत मिलेगी हमें यूं

हो गर दीद उनकी कभी , …मुस्कुरादें//


वाह वाह वाह ये अंदाज़ भी बहुत दिलकश है राजेन्द्र जी !


//खड़े हम लिये’ राख इंसानियत की

कोई पाक गंगा मिले तो बहादें//


क्या कहने हैं साहिब हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर है यह तो ! इसे बार बार पढ़ रहा हूँ ओर सोच रहा हूँ कि वो क्या लम्हात रहे होंगे जब ये शेअर कलमबंद किया होगा ! बहुत ऊंची उड़ान लगाई है सर - आनंद आ गया !  


//चले आज राजेन्द्र फ़ानी जहां से

हो मिलना कभी ; हमको दिल से सदा दें//


बेहतरीन मकता !!! आदरणीय राजेन्द्र भाई जी, आपके इन आशार के ज़रिए मुशायरा ही लूट लिया है ओर वो भी दोनों हाथों से ! आपकी आमद और आशार ने इस आयोजन को जो बुलंदी बख्शी है उसके लिए मैं तह-ए-दिल से ममनून हूँ !

बड़े भाईजान योगराज प्रभाकर जी  

 

ये इनायतें ग़ज़ब की , ये बला की मेह्रबानी    

 

इधर हम आपके मुरीद हुए जा रहे हैं …

ज़र्रानवाज़ी  का शुक्रिया ! 

 

मेरे लिए टाइप करना मुश्किल काम है …:(

बहुत जल्द बात करूंगा ।

 

इस बीच आपकी शादी की सालगिरह का शुभ अवसर आया था …

एक बार पुनः बधाई और मंगलकामनाएं - शुभकामनाएं !!  

 

( मैंने आपको मेल से बधाई दी थी … शायद अभी तक आपने नहीं देखी )

 

 

आद राजेन्द्र भईया सादर नमस्कार...

आपकी ग़ज़ल तो आपकी ग़ज़ल है....

लाज़वाब...

सादर....

प्रियवर संजय जी  

आभार !

 

आपकी तरक़्क़ी सराहनीय है …

 

बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं …

गजब कर कर गए राजेन्द्र भाई। क्या शानदार ग़ज़ल कही है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।

ग़ज़ब संयोग है धर्मेन्द्र जी … इस बार भी आपकी ख़ूबसूरत रचना पर प्रतिक्रिया नहीं दे पाया …( स्वास्थ्य और नेट समस्या के कारण । अभी भी तेज बुखार है … ) हार्दिक बधाई स्वीकार  है … आपका आभार !

//कहां खो गए लोग कहते थे जो यूं-

‘चलो ज़िंदगी को मुहब्बत बनादें’


तसल्ली सुकूं चैन कुछ भी नहीं है

कहां सर झुकादें … कहां सर कटादें


नहीं हमको आता नज़र कोई काबिल

किसी में हो कूव्वत ; उसे ग़म सुनादें//

बहुत खूब भाई राजेंद्र जी ! देर आयद दुरुस्त आयद ..............इस बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें !:-)


दिलों की वो तल्खी जो हमने हैं पाले,
चलो आज उनको मिलकर भुला दें.

पलकों पे सपने जो सजते थे पहले,
उन्हीं ख्वाब को हम फिर से सजा दें.

हमारी सुनो और अपनी सुनाओ,
बातों का सिलसिला फिर से चला दें.

क्या सोचती हो - क्यों सोचती हो?
चलो जिंदगी को मोहब्बत बना दें.

कदम तुम बढ़ाओ-कदम हम बढ़ाएं,
चलो इस सफ़र को फिर हमसफ़र बना दें.

नभ को निहारो -दिल इसका देखो,
चलो जिंदगी को मोहब्बत बना दें.

क्यों ना इसे हम मुक़द्दर बना लें.
चलो जिंदगी को मोहब्बत बना दें.

गीतकार - सतीश मापतपुरी

आदरणीय सतीश भईया प्रयास आपका बहुत ही बढ़िया लगा, आपके पास ख्याल की कोई कमी नहीं, ग़ज़ल कुछ नियम कानून के अंतर्गत कही जाती है, कृपया मेरे संग संग आप भी तिलक सर की कक्षा में हाजिरी लगाये, आप तो गुणी जन है बहुत जल्द रफ़्तार पकड़ लेंगे | इस प्रयास पर बधाई स्वीकार करे | 


आदरणीय सतीश जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये.
आपका,
धर्मेन्द्र

बहुत अच्छा प्रयास है। शानदार ख्यालों के लिए सतीश जी को बधाई।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
11 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें"
14 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, बहुत धन्यवाद"
21 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
22 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी जी, बहुत धन्यवाद"
23 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . संबंध

दोहा सप्तक. . . . संबंधपति-पत्नी के मध्य क्यों ,बढ़ने लगे तलाक ।थोड़े से टकराव में, रिश्ते होते खाक…See More
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अगर ये ग़ज़ल बेकार है आदरणीय अमित जी तो कुछ सुझाव दे दीजिए आप कुछ सुझाव दे दीजिए सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service