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वाह वाह शमसी भाई बहुत खूब, आपकी ग़ज़ल का इन्तजार पहले दिन से ही था, खुबसूरत ग़ज़ल के साथ आपने इंट्री मारा है |
मतला के साथ जो आप ने गिरह लागाया है कमाल का है,
बड़ा कम्बख़्त है, लोगो, न उसकी चाल में आना
लड़ाएगा वही फिर, जिसने समझौता कराया है
वाह बहुत ही पते की बात कहा है आपने, बहुत खूब , ये शे'र मुझे बहुत अच्छा लगा |खुबसूरत प्रस्तुति पर दाद कुबूल कीजिये भाई |
हिलाल भाई, बहुत इन्तजार कराया, अब तो दिल डूबा जा रहा था ...खैर देर आये दुरुस्त आये ....
उधर उसने मेरी खातिर रची है मौत की साज़िश !
इधर मैंने उसी की जान का सदका कराया है !!
आय हाय , मार डाला, क्या मासूमियत है जनाब , बहुत खूब , बढ़िया शे'र |
अगर कोई शिकायत थी तो मुझसे कह लिया होता !
ज़माने को बताकर क्यों मुझे रुसवा कराया है !!
क्या बात है, ऐसा ही होता है दोस्त , ज़माना खराब है |
वो जिसकी मैंने करवाई मसर्रत से शनासाई !
हिलाल उसने ही मेरा दर्द से रिश्ता कराया है !!
वॉय होय , जबरदस्त , बेहतरीन मकता ,
सभी के सभी शे'र बुलंद ख्यालों से लबरेज है , खुबसूरत ग़ज़ल पर दाद कुबूल कीजिये जनाब |
bahut bahut shukriya baaghi ji
aisa bhi nahi hai k hum door hai magar sab aapki muhabbat hai jo mai kahin bhi hun magar o b o dhyaan me kahi na kahi rehta hai
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