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दोस्तो, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार आप सभी के स्नेह के लिए सदा अभारी है | "ओबिओ लाइव महा इवेंट" अंक-1 को मिली अपार ऐतिहासिक सफलता ( दर्जनों रचनाकारों की अनवरत २०० से अधिक रचनाओं सहित १२००+ रिप्लाई ) से हम सब अभी भी अभिभूत हैं | हमारे सभी प्रिय रचनाधर्मियों के सहयोग और पाठकों के उत्साह वर्धन से ही यह संभव हो सका था, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार आप सभी का ह्रदय से अभारी रहेगा|

जैसा कि अब आप सभी जान चुके हैं कि ओपन बुक्स ऑनलाइन साहित्य को समर्पित एक ऐसा मंच है जहाँ हर विधा के फ़नकार अपनी अपनी विधा में अपने अपने हिसाब से शिरकत करते हैं|

तो दोस्तों, प्रस्तुत है ओपन बुक्स ऑनलाइन का एक और धमाका "ओबिओ लाइव महा इवेंट" अंक-2

इस महा इवेंट में आप सभी को दिए गये विषय को लक्ष्य करते हुए अपनी अपनी रचनाएँ पोस्ट करनी हैं | वो रचनायें ग़ज़ल, गीत, कविता, छंद, मुक्तक, हाइकु, लघुकथा, पद, रसिया, व्यंग्य या कुछ और भी हो सकती है | आप सभी से सविनय निवेदन है कि सर्व ज्ञात अनुशासन बनाए रखते हुए अपनी अपनी कला से दूसरों को रु-ब-रु होने का मौका दें तथा अन्य रचनाकारों की रचनाओं पर अपना महत्वपूर्ण विचार रख उनका उत्साह वर्धन भी करें |

इस बार के "ओबिओ लाइव महा इवेंट" अंक-2 का विषय है "प्रेम"
प्रेम का सीधा सीधा अर्थ यूँ तो संयोग / वियोग आधारित श्रुंगार रस ही होता है यानि इश्क-मुहब्बत-जुदाई वग़ैरह| परंतु यदि कोई फनकार प्रेम के अन्य प्रारूप जैसे प्रकृति प्रेम, इश्वरीय प्रेम, पक्षी प्रेम, देश प्रेम जैसे विषयों पर भी प्रस्तुति देना चाहे तो आयोजन में और भी चार चाँद लग जाएँगे|

यह इवेंट शुरू होगा दिनांक ०१.१२.२०१० को और समाप्त होगा ०५.१२.२०१० को, रोचकता को बनाये रखने हेतु एडमिन जी से निवेदन है कि फिलहाल रिप्लाइ बॉक्स को बंद कर दे तथा इसे दिनांक ०१.१२.२०१० लगते ही खोल दे जिससे सभी फनकार सीधे अपनी रचना को पोस्ट कर सके तथा रचनाओं पर टिप्पणियाँ दे सके |

आप सभी सम्मानित फनकार इस महा इवेंट मे सादर आमंत्रित है,जो फनकार अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है उनसे अनुरोध है कि www.openbooksonline.com पर log in होकर sign up कर ले तथा "ओबिओ लाइव महा इवेंट" अंक-2 मे शिरकत करें | उम्मीद ही नहीं विश्वास है कि यह "महा इवेंट" पिछले "महा इवेंट" के रिकार्ड को भी पीछे छोड़ देगा | आप सभी से सहयोग की अपेक्षा है |

प्रतीक्षा में
ओबिओ परिवार

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Replies to This Discussion

thank you Preetam bhaiya...for your sweet comments
वन्दे मातरम तिरपाठी जी,
किसी एक पंक्ति के बारे में कहना इस कविता के साथ नाइंसाफी होगी, पूरी कविता ही बेहतरीन हैं,
"प्रेम बिना जीवन विषप्याला " - ये आपकी कविता की आत्मा है डॉ त्रिपाठी जी !
सच में प्रेम की यही परिभाषा है...'' यह जीवन की आशा है...'' बहुत सुन्दर लिखा है, ब्रिजेश भाई.
प्रेम का मोल समझाती हुई और बहुत सुन्दर सन्देश देती हुई इन सार्थक पंक्तियों के लिये बधाई।
""तुझको बस पाने की आदत, मैं भी आखिर देता कब तक""

प्यार से भरा हुआ है, मेरा दिल मगर,
मेरी जिन्दगी में प्यार का, नाम ही नही............

तन्हा सफर ये जिन्दगी का, तन्हा काटेंगे हम,
इस सफर में हम सफर, का काम ही नही...........

तुझको बस पाने की आदत, मैं भी आखिर देता कब तक,
सब्र का तेरी जीस्त में, कोई मकाम ही नही.............

मुस्कराहट तेरे लब पर, दूर से दिखती मगर,
अफ़सोस तेरे नसीब में, प्यार का कोई जाम ही नही........

तूने जो चाहा वो पाया, खुश रहे तू है दुआ,
पर क्यों आखिर तेरे पास, एक हंसी शाम भी नही...........
सच है सम्बन्ध अन्योन्याश्रित होते हैं....
सुन्दर रचना!
अनु दी आपका धन्यवाद
बड़े भाई की और से दी गई बधाई सादर स्वीकार
प्यार से भरा हुआ है, मेरा दिल मगर,
मेरी जिन्दगी में प्यार का, नाम ही नही............

waah rakesh bhai...kya baat hai.....lage rahiye...aur bhi aani chahiye...main wait kar raha hoon....jaldi kijiye main yahi baitha hoon aapki rachna ke intezaar me
प्रीतम भाई हौसला अफजाई के लिए आपका बारम्बार आभार
बहुत खूब अन्दाजे बयां। सुन्दर प्रस्तुति।

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