//जनाब नवीन चतुर्वेदी जी //
छुपे घोंसलों में रहें डर क़े बच्चे
लिए चोंच चारा पधारी मुहब्बत | (६)
करें अपने बाघा-अटारी मुहब्बत | (९)
किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत (१०)
है बदली हुई वादियों की फिजायें
पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत (११)
तेरी सादगी गुनगुनाती है हर सू
मुहब्बत मुहब्बत हमारी मुहब्बत (१२)
जीत जाती ये लगाकर दांव जिंदगी का
है सबसे बड़ी जुआरी मुहब्बत | (१३)
मैं कूचा ए जानां से जब भी हूँ गुज़रा |
बदन में अज़ब सी हुई है हरारत || (१९)
ऩफीसा की मोहन से यारी मोहब्बत ! (२१ )
छुपे घोंसलों में रहें डर क़े बच्चे
लिए चोंच चारा पधारी मुहब्बत | (६)
//जनाब गणेश बागी जी//करें अपने बाघा-अटारी मुहब्बत | (९)
किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत (१०)
है बदली हुई वादियों की फिजायें
पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत (११)
तेरी सादगी गुनगुनाती है हर सू
मुहब्बत मुहब्बत हमारी मुहब्बत (१२)
जीत जाती ये लगाकर दांव जिंदगी का
है सबसे बड़ी जुआरी मुहब्बत | (१३)
मैं कूचा ए जानां से जब भी हूँ गुज़रा |
बदन में अज़ब सी हुई है हरारत || (१९)
ऩफीसा की मोहन से यारी मोहब्बत ! (२१ )
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