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आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,


समय कितनी तेज़ी से गुज़र जाता है - पता ही नहीं चलता. अब देखिए न, देखते ही देखते "ओबीओ लाईव महा उत्सव" के १४ आयोजन मुकम्मिल भी हो चुके और १५ वे अंक के आयोजन का समय भी आ पहुंचा. पिछले १४ कामयाब आयोजनों में रचनाकारों में १४ विभिन्न विषयों बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में ओपन बुक्स ऑनलाइन पेश कर रहा है:

.

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १५   

विषय - "तलाश"  
आयोजन की अवधि रविवार ८ जनवरी २०१२ से मंगलवार १० जनवरी २०१२ 
..

"तलाश" महज़ एक शब्द ही नहीं अपितु एक विस्तृत विषय भी है और एक विचारधारा भी. आज के में कौन ऐसा होगा जो किसी न किसी चीज़ की तलाश में न हो ? कोई सुख की तलाश में है तो कोई शांति की, कोई सफलता की तलाश में तो कोई सुकून की. कोई रौनक की तलाश में है तो कोई एकांत की, अंधेरों को रौशनी की तलाश है तो तारों को चाँद की. कोई पाँव तलाश कर रहा है तो कोई जूते. यानि "तलाश" शब्द का दायरा इतना वसीह और बहु-आयामी है कि एक रचनाकार इसे हर रंग और हर ढंग से इसको परिभाषित कर सकता है. तो आईए मित्रों ! वर्ष २०१२ के पहले "ओबीओ लाईव महा उत्सव" अंक-*१५ में, उठाइए अपनी कलम और रच डालिये कोई शाहकार रचना. मित्रो, बात बेशक छोटी कहें मगर वो बात गंभीर घाव करने में सक्षम हो तो आनंद आ जाए.

.

महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है:

.

  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)

 .

अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- १५ में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ  ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |


(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो रविवार ८ जनवरी लगते ही खोल दिया जायेगा )


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"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

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Replies to This Discussion

इन दोहों पर क्या कहूँ,  अंतर्निहित है खोज !

पंक्ति-पंक्ति से झर रहा,  कतरा-कतरा ओज !! ..

संजयजी, हार्दिक हार्दिक हार्दिक .. बधाई !!

आँसुओं कोई घर तलाश करो

सीपियों सी नज़र तलाश करो

 

छाँव लेकर जो साथ-साथ चले

ऐसा कोई शज़र तलाश करो

 

जान रखना हथेलियों पर ही

दौलतेदिल अगर तलाश करो

 

मंजिलें प्यार की रुला देंगी

जिंदगी का सफर तलाश करो

 

तीर बन जाएगी ग़ज़ल तेरी

खूनेदिल में असर तलाश करो

 

मेरी गज़लों में खून है! छोड़ो

आप इनमे बहर तलाश करो

 

 

…………………. अरुन श्री !

बेहतरीन शेर से आरस्ता खूबसूरत ग़ज़ल कही हैं ..मुबारक बाद कबूल करे 

धन्यवाद मैम !

 खूबसूरत गज़ल ,बधाई अरुण श्री जी 

आभारी हूँ आपका !

भाई अरुण श्रीवास्तव जी, बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल. एक एक शेर एक गहरी पीड़ा और एहसास लिए हुए है. आखरी शेर तो कमाल का बन पड़ा है

//मेरी गज़लों में खून है! छोड़ो

आप इनमे बहर तलाश करो// हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये

सब आपकी नज़रों का कमाल है साहब , जो दर्द पहचानती है ! धन्यवाद आपका !

सीपियों सी नज़र तलाश करो - वाह बिल्कुल ही अछूती कल्पना

तीर बन जायेगी गज़ल तेरी, खूनेदिल में असर तलाश करो-  इसके लिये विशेष तौर पर दाद स्वीकार करें

पूरी की पूरी गज़ल ही लाजवाब और उम्दा है, अरुण जी बधाई....

टंकण मे थोड़ी त्रुटि हो गई थी-

आँशुओं कोई घर तलाश करो

सीपियों सी नज़र तलाश करो

सर जी अगर आँशुओं को मोती बनाना है तो ये तलाश तो करनी पड़ेगी !

सादर धन्यवाद आपको  !

बहुत खूब ग़ज़ल अरुण भाई - वाह.

आपकी दृष्टी पड़ी तो रचना धन्य हुई आदरणीय !

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