Tags:
Replies are closed for this discussion.
जाम, साकी, मय का प्याला, सोम, मधुशाला, अबे,
बस भी कर वरना तू शायर बावला हो जाएगा |
तू मुझे फुसला रहा है रंग की बल्टी लिए,
मैं शराफत छोड़ दूं, तेरा "भला" हो जाएगा |
कहते कहते थक गया तुझको समझ आता नहीं ?
"रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जाएगा"
भाई वाह वाह...
बस जी मैंने तो कह दिया
क्या कहा है यह मत पूछिए खुद समझिए :)
सभी शे'र ख़ूबसूरत लगे पर मतला और मक़्ता
ख़ास पसंद आये , बधाई वीनस जी।
हरेक बहाना नाकाम छलिया हो जायेगा।
रोज पव्वा पीलिया तो पीलिया हो जायेगा।।
खाना-खराब खाली खीसिया हो जायेगा।
रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा।।
दर्दे-दिल की दवा जामे-मए नहीं लबे-शीरीं हैं ।
आॅंखों से पीयें ईलाज शर्तिया हो जायेगा ।।
गर बेवफा मेहबूब है तो सब्र से काम लेना।
उलफत में रंग दो भला बीचिया हो जायेगा।।
इस मए की ये कुदरती तासीर हैं यारों।
शेर भी बदहवासी में मेमना हो जायेगा ।।
समन्दर से ज्यादा शराब में डूब गये दोस्तों।
मए के प्यालो से आखिर मोतिया हो जायेगा ।।
मए-हुस्न ही रंजो-गम में राहत देता हैं ।
दवा औ दारू से प्रेम इश्किया हो जायेगा ।।
मैकशी का आगाज औ अंजाम बुरा होता है ।
बंगला भी कुटिया में तब्दील मिया हो जायेगा ।।
बेवफाई के शिकवे-गिले तब दूर होंगे।
जब वफाऔजफा का इन्तिहा हो जायेगा।।
पारस के संग से लोहा कंचन हो जाता है।
सज्जन संग करेगा कीमिया हो जायेगा।।
पहले मए फिर मए को मए आखिर मैकश को मए।
रूस्तम सा पीते पीते सींकिया हो जायेगा।।
शौके-नशा धीरे-धीरे आदत बन जाता हैं।
नूरानी चेहरा भी दीनिया हो जायेगा।।
दिले-नादाॅ मैकशी में जुबाॅ पे लगाम रख।
वरन गफलत में पीटते दलिया हो जायेगा।।
नशा वही जो इकबार चढके उतरे ना कभी।
सब रस निरस जब इश्के-खुदा हो जायेगा।।
दिल से दिल की जा गर रूह से रूह मिल जाये तो।
खुद-ब-खुद मुखालिफों में ‘‘चन्दन‘‘ तस्फिया हो जायेगा।।
नेमीचन्द पूनिया ‘चन्दन‘
शौके-नशा धीरे-धीरे आदत बन जाता हैं।
नूरानी चेहरा भी दीनिया हो जायेगा।।
उम्द्दा शेर , पर आपके शे'र का असर इन बेवडों पर पड़ने वाली नहीं , हां यह जरूर है की बेवडों का असर आप पर पड़ जाये , राणा और वीनस से थोडा बच के रहिएगा,
क्या कहा शेषधर जी से , अरे नहीं नहीं उनसे डरने की जरूरत नहीं , वो तो आपके हिस्से की भी गटक जायेंगे | जय हो , होली है
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |