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चलो नहायें उछल-कूद के
ठंढा-ठंढा बहता पानी

गर्मी के मौसम में आखिर
चलती गर्मी की मनमानी
चापाकल का या नदिया का
या फिर तालाबों का पानी
राहत देगा अगर नहायें
क्यों करनी फिर आनाकानी
चलो नहायें उछल-कूद के
ठंढा-ठंढा बहता पानी

कुदरत के वरदान सरीखे
सतत धार में बहने वाले
झरनों का व्यवहार समझते
जंगल-पर्वत रहने वाले 
हम शिक्षित हैं, हम शहरी हैं 
कुदरत की क्यों बात न मानी ?
चलो नहायें उछल-कूद के
ठंढा-ठंढा बहता पानी

स्वच्छ रहे पर्यावरण यह
तभी अर्थ है इस जीवन का
घर-बाहर जब गन्दा-मैला
क्या हित सधता है तन-मन का ?
’जल ही जीवन है’ सब कहते
बात न कहनी, है अपनानी.
चलो नहायें उछल-कूद के
ठंढा-ठंढा बहता पानी
**************************************
-सौरभ
**************************************
(मौलिक और अप्रकाशित)


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Replies to This Discussion

बहुत सुन्दर शिक्षा प्रद बाल गीत. बच्चों के कोमल मन पर कवितायें/ गीत अपनी छाप इस तरह छोड़ देती हैं कि बड़े होने पर भी भुलाए नहीं भूलती 

अब ये सही वक्त है कि ऐसी ही बाल रचनाएँ लिखी जाएँ जिनमे निहित सन्देश को वो हमेशा याद रखें और अमल में लायें इन तथ्यों पर आपकी ये रचना खरी उतरती है सराहनीय है हृदय से आपको बहुत- बहुत बधाई |

आदरणीया राजेशजी, आपकी प्रशंसा मेरे लिए कैटेलिस्ट का काम कर रही है. इस रचना में सार्थकता है यह जान कर असीम संतोष हुआ है. आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीया.

आदरणीय सौरभ सर, बहुत सुन्दर बाल गीत हुआ है. अंतिम पद में सन्देश और प्रेरणा किसी उपसंहार सी गीत के महत्त्व को अभिव्यक्त कर रही है. बाल मन हेतु सहज शब्दों में प्रस्तुत इस सरस बाल गीत हेतु साधुवाद.. हार्दिक आभार 

आदरणीय मिथिलेशजी, आपकी सराहना मुदित कर रही है. गीत का अन्तिम बन्द उपसंहार ही है. वस्तुतः इस रचना का पाठ आकाशवाणी, इलाहाबाद से हो चुका है. उसी कार्यक्रम में ले लिए यह बाल-गीत लिखा भी गया था.
हार्दिक धन्यवाद

स्वच्छ रहे पर्यावरण यह 
तभी अर्थ है इस जीवन का 
घर-बाहर जब गन्दा-मैला 
क्या हित सधता है तन-मन का ?
’जल ही जीवन है’ सब कहते 
बात न कहनी, है अपनानी. 
चलो नहायें उछल-कूद के 
ठंढा-ठंढा बहता पानी ...

सुंदर, मनमोहक, शिक्षाप्रद बाल गीत  के लिए बधाई आदरणीय सौरभ सर  ।

इस प्रस्तुति को मान देने केलिए हार्दिक धन्यवाद, नादिर भाई. 

रहेबहुत खूब... गरम व ठंडे की बात कहते पानी में मौज-मस्ती की बात करते करते बच्चों को पानी व पर्यावरण के बारे संदेश देती रचना अपना उद्देश्य पूरी तरह से प्राप्त करती है। इस सुंदर बालगीत के सृजन के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। शब्द "ठंडा" को क्या बच्चों की रूची के लिए "ठंढा" लिखा गया है ?

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"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
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"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
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"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
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