For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लेखक की आत्मा- अर्चना ठाकुर (पुस्तक समीक्षा)

 

वर्तमान में जब  दलित विर्मश या स्त्री विर्मश आज के कथाकारों की कहानियों का केन्द्र बिंदु  होता है वही अर्चना ठाकुर जी किसी भी विचार धाराओं से परे अपने प्रथम कहानी संग्रह “लेखक की आत्मा” की कहानियों में सामाजिक विमर्श द्वारा मुख्य पात्रों के संवेदनाओं को सुक्ष्मतर स्तर पर अभिव्यक्त करते हुए पाठक के मन के गहराईयों में उतर जाती हैं । मनोविज्ञान की विद्यार्थी रह चुकी लेखिका ने पात्रों के मनोविज्ञान को बखूबी रेखांकित किया है । यही इनकी लेखनी को सशक्त भी करती है पर इससे कहानी लेखन की कलात्मकता तनिक भी प्रभावित नहीं होती है । लेखनी की रचनात्मक पकड़ आपको कई बार अचम्भित कर देती है समय , समाज और मानवीय व्यवहार में रची –बसी कहानियाँ आपको पढ़ने के दौरान अपने में डूबों लेने में सक्षम है ।

 

लेखक की आत्मा की कहानी में समाज में व्याप्त तथाकथित पाखंडी गुरुओं द्वारा समाज सेवा और धर्म के के नाम पर स्त्री देह के शोषण पर कलम चला कर आवाज उठाई गई है ।

 

वहीं किरदार कहानी में अमीर पिता द्वारा अपनी पागल बेटी के लिए एक गरीब संवेदशील पुरुष को इस्तेमाल कर हमेशा के लिए उसे अंधकार के गर्त में छोड़ देने की पीड़ा देर तक मन को कचोटती है। कुछ देर के लिए ही सही स्त्री विमर्श से परे आपको याद दिलाती है कि पुरुष भी इस्तेमाल किए जाते हैं ।

 

आज जब प्यार का मतलब देह से शुरु होकर देह तक की कवायद भर रह गई है ।वहीं “ चिठ्ठी में कहानी में एक ऐसे अनकहे प्रथम प्रेम को दर्शाया गया है जिसे आधुनिक भाषा में प्लेटॉनिक लव कहते हैं जहाँ 13 वर्ष की उम्र में नायिका अनजाने ही किसी अजनबी से मन के स्तर पर जुड़ते चली जाती हैं और जीवन के उतरार्ध में जब वो अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट है, ख्याल करनेवाला पति है , प्यार करने वाले बच्चे हैं तब भी उसके जेहन में वो पहला आर्कषण जिंदा रहता है जिसे बहुत ही खुबसूरती से लेखिका ने बुना है।

मंथन कहानी को पढ़ने के दौरान सहसा प्रेमचंद कौंध जाते है । कहानी का ताना-बाना और कथ्य की गहराई के कारण कहानी आर्दश और संस्कार के साथ यर्थाथ को परोसती है जहाँ संकल्प है , सेवा है, धात है फिर पश्चाताप की आंच भी ।

 

आज की आधुनिक स्त्री की कहानियाँ है स्वाहा और तुम्हारे लिए”। स्वाहा की नायिका एक मजबूत इरादो वाली स्त्री है जो संस्कारी है, शिक्षित है, स्वावलंबी है, निडर  है और  निर्णय लेने में सक्षम है। जो प्रेम और वासना के अंतर को बखूबी समझती है। अपनी अस्मिता पर किए गए आधात पर रोने-बिसुरने के बजाए बदला लेती है।वही तुम्हारे लिए की नायिका मनोविज्ञान की शोधार्थी होने के बावजूद अपनी अति-संवेदशीलता की वजह से स्वयं मानसिक रुप से अस्वस्थ हो जाती है नायिका के बहाने  समाज का घृणित मतलबी चेहरा भी खुल कर सामने आता है।

 

इस संग्रह में कुल 12 कहानियाँ है। कहानी संग्रह वास्तव में संग्रह करने लायक है।

जिसमें “बंद कमरे का धुँआ”,”धुलेंडी” , “औरत हो क्या “ आदि बेहद हृदयस्पर्शी है । लेखिका अर्चना ठाकुर से भविष्य में इसीप्रकार की श्रेष्ठ कहानियों को लिखने की शुभेच्छा के साथ बहुत सारी शुभकामनाएं ।

 

 

 

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 702

Replies to This Discussion

 आदरणीया अर्चना ठाकुर जी को  प्रथम कहानी संग्रह “लेखक की आत्मा” हेतु हार्दिक शुभकामनायें 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"उत्साहदायी शब्दों के लिए आभार आदरणीय गिरिराज जी"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आदरणीय अजयन  भाई , परिवर्तन के बाद ग़ज़ल अच्छी हो गयी है  , हार्दिक बधाईयाँ "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आदरणीय अजय भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई ,  क्यों दोष किसी को देते हैं, क्यों नाम किसी…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. नीलेश भाई बेहद  कठिन रदीफ  पर आपंर अच्छी  ग़ज़ल कही है , दिली बधाईयाँ "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. नीलेश भाई , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है ,सभी शेर एक से बढ कर एक हैं , हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )

१२२२    १२२२     १२२२      १२२मेरा घेरा ये बाहों का तेरा बन्धन नहीं हैइसे तू तोड़ के जाये मुझे अड़चन…See More
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं

मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं मगर पाण्डव हैं मुट्ठी भर, खड़े हैं. .हम इतनी बार जो गिर कर खड़े हैं…See More
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)

देखे जो एक दिन का भी जीना किसान का समझे तू कितना सख़्त है सीना किसान का मिट्टी नहीं अनाज उगलती है…See More
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service