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छत्तीसगढी कुण्डलियामनखे काबर तैं करे, अइसन कोनो काम ।जगह जगह ला छेक के, अपन बिगाड़े धाम ।।अपन बिगाड़े धाम, कोन ला हे गा भाये ।चाकर रद्दा छोड़, कोलकी जउन बसाये… Started by रमेश कुमार चौहान |
0 | Jul 13, 2015 |
अम्मा बबुरन माँ डिंडिंयाइब (अवधी लोक गीत )हो अम्मा ! बबुरन माँ डिंडिंयाइब I पै मैय्या तुमरे पास न आइब I . बाबुल छूटा, सखियाँ छूटी, छूटे भाई -बहना I जाही को सौप्यों है मै… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
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Aug 30, 2014 Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
गली गली मोबाइल सचरा //बलम कलकतिया //अबय भेजय चिठिया //भूल नहीं पाये पुरानी //ई रीतियाँ //बलम कलकतिया //अबय भेजय चिठिया //गली गली मोबाइल सचरा //कय के तरक्की देशवा… Started by shambhu nath |
0 | Oct 30, 2013 |
छत्तीसगढ़ी गजलछत्तीसगढ़ी गजल बहर -212 212 122 222 चार दिन के सगा घरोधिया होगे । मोर घर के मन ह, परबुधिया होगे । का जादू करंजस, अइसन होईस रे अपन समझेव,… Started by रमेश कुमार चौहान |
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Oct 7, 2013 Reply by अरुण कुमार निगम |
स्मार्ट लरिकाएक तौ मुहि मां भरे रहत, दुई पुडि़या जेबेम धरे रहत, औ सिगरेट धक-धक सुलगावत हैं। ती खुद का स्मार्ट कहत हैं।। कपड़न मइहां इतर का डारैं, औ घण्… Started by Anil chaudhary "sameer" |
0 | Aug 1, 2013 |
राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।।दुई लरिका से ज्यादा पैदा न करबे।। राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।। रतिया म अपने सैया का मनौबय।। राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।। महगा भ कपड़ा साबु… Started by shambhu nath |
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May 23, 2013 Reply by बृजेश नीरज |
चला चला रे सजनवाचला चला रे सजनवा चला चला रे सजनवा अपने देसवा की ओरओहरे हमरे माई का घरवा संगी साथी और बजरवा सास ससुर ननद देवरवा भाई भतीजा मिल करें शोर चला च… Started by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA |
0 | Sep 26, 2012 |
रेल गाड़ीरेल गाड़ी देखा देखा रे जवनवा आ गईले मन मोहिनिया रेल इंजन ईमा लागल विदेसी गावत गीत सदा स्वदेसी देस नीत माँ सदा इ बहके… Started by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA |
0 | Sep 26, 2012 |
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