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जवन चलीं हम नीक बा, तहरे बाउर चाल !                             [बाउर - ग़लत
राजनीति के खेल में, कूल्हि पैंतरा गाल !!                               [गाल - बेईमानी

बात-बात में फर्क बा, बतिया लीहऽ मान !
एक बढ़ावसु संत जी, दोसर के शैतान ॥

अइले रैली देखि के, अइसन चढ़ल बतास !                              [बतास - हवा
उड़त रहल मन रात भर, आङन भइल अकास ॥                       [अकास - आकाश

जेहि अघाइल लोग बा, उनके हऽ उतजोग ।                             [अघाइल - संतृप्त, अतिसंतुष्ट
लोकतंत्र के नाँव पर, शासन-सत्ता भोग ॥

कवन भरोसा का करीं, काहें मति के फेर ?
चलीं उठाईं आसनी, गइल चुनावी टेर !!                                 [आसनी - बैठकी का आसन या पीढ़ा

कवन समै आइल कहऽ, भइल सोच में भेद ।                          [समै - समय
सभके सजल परात में, लउक रहल बा छेद ॥                          [परात - विशेष रूप से बड़ी थाली
***************
(मौलिक आ अप्रकाशित)

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Replies to This Discussion

बहुत अच्छी दोहावली है बहुत बहुत बधाई

सादर

भोजपुरी दोहों को पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण जी. 

सुंदर अति सुंदर।सही कटाक्ष करते हुए दोहे।हार्दिक बधाई पूज्य सौरभ पांडे जी।

रचना को अनुमोदित करने केलिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय सतविन्दरजी. 

  दोहा के कारण से मन इतना प्रसन्न हो गइल कि चुनाव के हरासी त खत्म हो गइल । दोहा के खातिर अनेक गो बधाई स्वीकार करी।

आदरणीय इन्द्रविद्यावाचस्पति तिवारीजी,  रउआ हई दोहा छन्द रुचकर लगलन सऽ, हम नत-मस्तक बानीं. नेह-छोह बनल रहो,

दिल से शुक्रिया कहि रहल बानीं. 

आदरणीय पाण्डेय जी, चुनाव को लेकर ये व्यंग्यात्मक दोहे मर्म पर उँगली रख रख रहे हैं --"सभके सजल परात में, लउक रहल बा छेद ॥" ...हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! 

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" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
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"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
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"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
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"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
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