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१२२ १२२ १२२ १२२


रटौले रटल बा नियम का ह, मत का ?
बुझाइल कबो ना सही का, गलत का !

सियासत के सोझगर गनितओ बुझाई
गुना-भाग छोड़ीं, बताईं जुगत का ?

गुनत जा रहल बा, पटाइल उपासे-
कमाई जे हासिल, त आखिर बचत का ?

धुआँ बा, कुहा बा, रुखाइल घर-आङन
सुखाइल इनारा त ढेंकुल, जगत का ?

चकाचौंध देखी, लहालोट होखी..
मताइल अगर ना.. भला ऊ भगत का ?

करब गाल रउआ, हँसब देइ ताली                              [ गाल - बेईमानी
जबाबी मिली तब पुछाई सखत का !

******

सौरभ

(मौलिक आ अप्रकाशित)

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Replies to This Discussion

मत्ला------बौद्धिक-चाटुकारों के संदर्भ में सटीक बैठ रहा।

जुगाड़ और सियासत का तो साथ चोली-दामन का है..शेर सत्य उद्घाटित कर रहा

जब कुआँ ही प्यासा है तो प्यासे का क्या?

किस किस शेर पर टिप्पणी करूँ.... उस लायक भी तो नहीं हूँ......एक अर्थपूर्ण शब्द-धनी ग़ज़ल है

एक बार फिर से प्रणाम

और भक्त का भावलीन हो जाना, आराध्य में खो जाना...इस बात को कितनी सहजता से आप कह गए हैं...सीख रहा हूँ मैं

अनन्य भाई पंकज कुमार मिश्रा जी, आपकी उत्साहवर्द्धक टिप्पणी पर समयानुसार धन्यवाद ज्ञापित न कर पाया इसका मुझे हार्दिक खेद है. मैं इधर न केवल दौरे पर था, बल्कि, वित्तीय वर्ष के समापन माह होने कारण अत्यंत व्यस्त भी हूँ. 

लेकिन, भाई आपकी दृष्टि इस रचना पर पडी, यही इस रचना का सौभाग्य है. 

हार्दिक धन्यवाद 

आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन । भाषा के लिहाज से गजल को समझने में थोड़ी सी दिक्कत तो हुई पर मन प्रफुल्लित हो गया । इस स्थानीय भाषा की बेहतरीन गजल के लिए ढेरों बधाइयाँ ।

आदरणीय लक्ष्मण भाई जी, यह आपकी सदाशयता ही नहीं, आपके साहित्यानुराग का ज्वाज्वल्यमान उदाहरण है कि भोजपुरी भाषी न होते हुए भी आपने रचना पर न केवल उचित समय दिया, बल्कि उदारमना बधाई भी दी. मैं आपके उत्साहवर्द्धन पर हृदयतल से आभारी हूँ. 

सादर 

  • सादर प्रणाम आदरणीय जनाब सोरभ पांडेय जी
  • बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है
  • ऊपर से भोजपुरी भाषा का तड़का मज़ा आ गया
  • धन्यवाद

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"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
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"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
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"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
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"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
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"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार दोनों ही कुण्डलिया छंद आपने सुन्दर रचे हैं.…"
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"आदरणीय हरिओम भाईजी सुंदर सार्थक तीन छंदों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। गली …"
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