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भोजपुरी साहित्य Discussions (244)

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पाँचवां विश्व भोजपुरी सम्मेलन नई दिल्ली में सम्पन्न

द्वारका, नई दिल्ली, पूर्वान्चल एकता मंच द्वारा आयोजित विश्व भोजपुरी सम्मेलन का उद्घाटन सत्र का शुभारंभ करते हुए लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा…

Started by Admin

0 Apr 12, 2011

अन्तिम इच्छा

ऊ एगो धन्ना सेठ रहले । जीवन के अंतिम पड़ाव पर जब उनका बुझाइल के अब उनकर मृत्यु नियरा गइल बा तब ऊ अपना इंस्योरेन्स एजेण्ट, अपना डाक्टर आ अपन…

Started by Neelam Upadhyaya

0 Apr 1, 2011

मुख्य प्रबंधक

"OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" के सब प्रस्तुति एके जगह ...

  "OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" प्रारंभ     अरुण कुमार पाण्डेय (१) गीत – बलम हमरो जवनिया बलम हमरो जवनिया जियान होत बा रहिया ताकत ताक…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

5 Feb 15, 2011
Reply by Abhinav Arun

मुख्य प्रबंधक

"OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" (Now Close)

भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर परनाम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार पिछला कई महिना से हर महीने सफलता पूर्वक "OBO लाइव मुशायरा" अउर "OBO लाइ…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

207 Feb 13, 2011
Reply by Rana Pratap Singh

कोठवा अटरीआ शहरीया में देखनी ,

कोठवा अटरीआ शहरीया में देखनी ,देखनी ना तनीको सा प्यार ,बढ़ीया हमार गाव शहर से ,बढ़ीया हमार गाव ,इहा भीर हर ओर लागल बा ,केहू गीरल बा केहू ना द…

Started by Rash Bihari Ravi

5 Feb 4, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

स्वर्गीय पाण्डेय आशुतोष जी के एगो भोजपुरी ग़ज़ल

  रात के बाद निहिचित बा दिन होई हो सकेला की उगतो किरिन  होई   साथ देहल कठिन ह अंहरिया के उ टाहाटह अंजोरिया त फेनु  होई   देखींल सींत अरुआ क…

Started by Santosh Kumar

1 Feb 4, 2011
Reply by आशीष यादव

डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना जी के एगो भोजपुरी ग़ज़ल

  कंक्रीट के शहर में पत्थर हो गइल अदमी   दिल का ह दिमागों से बंजर हो गइल अदमी     रोपाया के बिछौना पर सोना के रहीत चादर बस एही हाव हाव में…

Started by Santosh Kumar

2 Feb 2, 2011
Reply by Santosh Kumar

मुख्य प्रबंधक

"OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" आपन सुझाव दिही सभे....

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभे साथी लोगन के बागी के परनाम, आपन भोजपुरी साहित्य समूह मे हम एगो अनूठा अउर अंतरजाल पर पहिलका लाइव विश्व भोजपुर…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

16 Jan 31, 2011
Reply by Navin C. Chaturvedi

शिवपूजन लाल विधार्थी के एगो ग़ज़ल

  अब दिनों अन्हार लागत  बा हर साँस दुस्वार लागत  बा   नाव कइसे पार लागी जब साहिले मझधार लागत  बा   आज ढाकल मोसकिल बाटे आँचर तार- तार लागत  …

Started by Santosh Kumar

0 Jan 31, 2011

नूर मुहम्मद नूर जी के एगो ग़ज़ल

युवा स्वर : नूर मुहम्मद नूर जी के एगो ग़ज़ल  पानी    पागल बना रहल बा पानी जरा  रहल बा   पानी उठा रहल बा पानी गिरा रहल बा   औंधी तलक से भींज…

Started by Santosh Kumar

0 Jan 31, 2011

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