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भोजपुरी साहित्य Discussions (247)

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विधी के विधान (भोजपुरी कहानी )

बरसात के दिन , भादो के अन्हरिया घेरले रहे,  बहरी आकाश मे बदरी लागल रहे | रात भर रामधनी  के उन्घाई ना लागल | करवट बदलत कईसहु समय बितवलन, होत…

Started by Brij bhushan choubey

5 May 2, 2011
Reply by Brij bhushan choubey

चल जयिहें नेताजी बाबुरा, बूंट लादे

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

0 Apr 29, 2011

बचपन के याद

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

1 Apr 29, 2011
Reply by Deepak Sharma Kuluvi

पाँचवां विश्व भोजपुरी सम्मेलन नई दिल्ली में सम्पन्न

द्वारका, नई दिल्ली, पूर्वान्चल एकता मंच द्वारा आयोजित विश्व भोजपुरी सम्मेलन का उद्घाटन सत्र का शुभारंभ करते हुए लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा…

Started by Admin

0 Apr 12, 2011

अन्तिम इच्छा

ऊ एगो धन्ना सेठ रहले । जीवन के अंतिम पड़ाव पर जब उनका बुझाइल के अब उनकर मृत्यु नियरा गइल बा तब ऊ अपना इंस्योरेन्स एजेण्ट, अपना डाक्टर आ अपन…

Started by Neelam Upadhyaya

0 Apr 1, 2011

मुख्य प्रबंधक

"OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" के सब प्रस्तुति एके जगह ...

  "OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" प्रारंभ     अरुण कुमार पाण्डेय (१) गीत – बलम हमरो जवनिया बलम हमरो जवनिया जियान होत बा रहिया ताकत ताक…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

5 Feb 15, 2011
Reply by Abhinav Arun

मुख्य प्रबंधक

"OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" (Now Close)

भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर परनाम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार पिछला कई महिना से हर महीने सफलता पूर्वक "OBO लाइव मुशायरा" अउर "OBO लाइ…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

207 Feb 13, 2011
Reply by Rana Pratap Singh

कोठवा अटरीआ शहरीया में देखनी ,

कोठवा अटरीआ शहरीया में देखनी ,देखनी ना तनीको सा प्यार ,बढ़ीया हमार गाव शहर से ,बढ़ीया हमार गाव ,इहा भीर हर ओर लागल बा ,केहू गीरल बा केहू ना द…

Started by Rash Bihari Ravi

5 Feb 4, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

स्वर्गीय पाण्डेय आशुतोष जी के एगो भोजपुरी ग़ज़ल

  रात के बाद निहिचित बा दिन होई हो सकेला की उगतो किरिन  होई   साथ देहल कठिन ह अंहरिया के उ टाहाटह अंजोरिया त फेनु  होई   देखींल सींत अरुआ क…

Started by Santosh Kumar

1 Feb 4, 2011
Reply by आशीष यादव

डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना जी के एगो भोजपुरी ग़ज़ल

  कंक्रीट के शहर में पत्थर हो गइल अदमी   दिल का ह दिमागों से बंजर हो गइल अदमी     रोपाया के बिछौना पर सोना के रहीत चादर बस एही हाव हाव में…

Started by Santosh Kumar

2 Feb 2, 2011
Reply by Santosh Kumar

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Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
21 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
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