Sort by:
Discussions | Replies | Latest Activity |
---|---|---|
मुख्य प्रबंधक भोजपुरी लघुकथा : माई किरिया (गणेश जी बागी)लफुअन के संगत में पड़ कमे उमिर में गुड्डूआ के जुआ क लत लाग गईल. एक महीना बाद संघतिहन के निहोरा प उ डेरात-डेरात फेनु जुआ खेले बईठ… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
2 |
May 1, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
मुख्य प्रबंधक भोजपुरी लघुकथा : असर (गणेश जी बागी)पचीस बरिस पहिले राजेश्वर सिंह गाँव छोड़ बम्बई के एगो उद्योगपति के दमाद बनि ओहिजे बस गइले. हाइ-फाइ माहौल में जनमल आ… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
8 |
May 1, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
गजल(मनब कि ना मनब)गजल मनब कि ना मनब, बेशी अगरइब तू? आइल बुढ़ापा,अब आउर पछतइब तू। खोज तार फूल अब कहाँ लेकेे जइब? नजर धुंधला गइल,सुँघब कि सटइब तू? बेरी-बेरी ह… Started by Manan Kumar singh |
1 |
May 1, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
मुख्य प्रबंधक भोजपुरी लघुकथा : कुक्कुरजात (गणेश जी बागी)"मुखियाजी, ई स्साला रॉकिया ’कुक्कुरजात’ के इज्जत खराब करे प तुलल बा." "अरे का भइल रे शेरुआ..... तनिका सोझ-सोझ बताउ.." "मुखियाजी, ई ससुरा का… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
7 |
Mar 14, 2015 Reply by maharshi tripathi |
एह साल गढ़ईबो गोरी तोहके झूलनिया |मुँहवा फूलवले बाड़ू काहें मोर धनिया | एह साल गढ़ईबो गोरी तोहके झूलनिया | देख गोरी खेतवा में रहर फूलायल ,मुँगवा के डलिया में मस्ती आयल | तिल… Started by Shyam Narain Verma |
2 |
Jan 30, 2015 Reply by Hari Prakash Dubey |
सदस्य टीम प्रबंधन आपन गाँव-जवार के नाँवें (दुर्मिलसवैया) // - सौरभपरतंत्र रहे तब देस भले, अब गीत सुराज क गावत बा सगरे सुकलान अँजोर बड़ा, तबहूँ मन झोंझ मचावत बा दमदार कमासुत पूत जहाँ तकरो प विकास रिगावत बा… Started by Saurabh Pandey |
2 |
Jan 11, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
चउखट लँघाई क प्रण ह|पथरे पर सुतल दुधमुहवा, छोटकी डोलावेले बेना बड़का पथावेला ईटा मिली तबे सांझ क चबेना| लरिकन के भेजिती सकूल इहे समईया क माँग कवनो सनेसनाही पा… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
3 |
Jan 11, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
कुण्डलियां--प्रमोद श्रीवास्तवठाढ़े बकुल - धीयान माँ थाम ठिकरा हाथअझुराएल सझुरैहन ताना खोजि चीकॅना माथखोजि चीकॅना हाथ बनइहन तन-मन ढीला झाड़ पोंछि तइयार ठॉकिहेनअगिला कीला… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
2 |
Jan 11, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
मन भकुआईल बा--प्रमोद श्रीवास्तवघुसत बा गवें गवेंमज़े मज़े जात बाबबुनी हो मीठ तोहार बतिया बुझात बा का तोहार नाम औउरकहाँ तोहार गाँव बाघुलि मिली हवा संगेकान मा घोरात बा प… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
2 |
Jan 11, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
कुण्डलियां--प्रमोद श्रीवास्तवभ्रष्टाचार लंगोटीया मुँहवा भइल बचाल वोट चढ़ावे आस्तीन जन .में उठल बवाल जन .में उठल बवाल हाथ दूनो चपकल बा माथे बोझ चिहात रूप कईसन बदलल बा रो… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
1 |
Jan 11, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |