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सदस्य टीम प्रबंधन भोजपुरी ग़ज़ल // -सौरभ२१२२ १२१२ २२ साफ़ बोले में बा हिनाई का ? काहें बूझीं पहाड़-राई का ? चाँद-सूरज में दोस्ती कइसे ? धंधा-पानी में ’भाई-भाई’ का ? सब इहाँ जी र… Started by Saurabh Pandey |
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May 26, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
गजलभोजपुरी गजल(07/05/2015) रूप अपन धूप में सुखाईं मत एने-ओने नजर भटकाईं मत। उछहल हियरा उछलबे करी बेशी ओकरा अब दबाईं मत। कबसे चकोर बा आँख गड़वले… Started by Manan Kumar singh |
0 | May 7, 2015 |
मुख्य प्रबंधक भोजपुरी लघुकथा : माई किरिया (गणेश जी बागी)लफुअन के संगत में पड़ कमे उमिर में गुड्डूआ के जुआ क लत लाग गईल. एक महीना बाद संघतिहन के निहोरा प उ डेरात-डेरात फेनु जुआ खेले बईठ… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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May 1, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
मुख्य प्रबंधक भोजपुरी लघुकथा : असर (गणेश जी बागी)पचीस बरिस पहिले राजेश्वर सिंह गाँव छोड़ बम्बई के एगो उद्योगपति के दमाद बनि ओहिजे बस गइले. हाइ-फाइ माहौल में जनमल आ… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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May 1, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
गजल(मनब कि ना मनब)गजल मनब कि ना मनब, बेशी अगरइब तू? आइल बुढ़ापा,अब आउर पछतइब तू। खोज तार फूल अब कहाँ लेकेे जइब? नजर धुंधला गइल,सुँघब कि सटइब तू? बेरी-बेरी ह… Started by Manan Kumar singh |
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May 1, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
मुख्य प्रबंधक भोजपुरी लघुकथा : कुक्कुरजात (गणेश जी बागी)"मुखियाजी, ई स्साला रॉकिया ’कुक्कुरजात’ के इज्जत खराब करे प तुलल बा." "अरे का भइल रे शेरुआ..... तनिका सोझ-सोझ बताउ.." "मुखियाजी, ई ससुरा का… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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Mar 14, 2015 Reply by maharshi tripathi |
एह साल गढ़ईबो गोरी तोहके झूलनिया |मुँहवा फूलवले बाड़ू काहें मोर धनिया | एह साल गढ़ईबो गोरी तोहके झूलनिया | देख गोरी खेतवा में रहर फूलायल ,मुँगवा के डलिया में मस्ती आयल | तिल… Started by Shyam Narain Verma |
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Jan 30, 2015 Reply by Hari Prakash Dubey |
सदस्य टीम प्रबंधन आपन गाँव-जवार के नाँवें (दुर्मिलसवैया) // - सौरभपरतंत्र रहे तब देस भले, अब गीत सुराज क गावत बा सगरे सुकलान अँजोर बड़ा, तबहूँ मन झोंझ मचावत बा दमदार कमासुत पूत जहाँ तकरो प विकास रिगावत बा… Started by Saurabh Pandey |
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Jan 11, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
चउखट लँघाई क प्रण ह|पथरे पर सुतल दुधमुहवा, छोटकी डोलावेले बेना बड़का पथावेला ईटा मिली तबे सांझ क चबेना| लरिकन के भेजिती सकूल इहे समईया क माँग कवनो सनेसनाही पा… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
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Jan 11, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
कुण्डलियां--प्रमोद श्रीवास्तवठाढ़े बकुल - धीयान माँ थाम ठिकरा हाथअझुराएल सझुरैहन ताना खोजि चीकॅना माथखोजि चीकॅना हाथ बनइहन तन-मन ढीला झाड़ पोंछि तइयार ठॉकिहेनअगिला कीला… Started by PRAMOD SRIVASTAVA |
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Jan 11, 2015 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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