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छंद  -   मालिनी

परिभाषा -इस छंद के प्रत्येक  चरण में  १५ वर्ण  आठवे तथा  फिर सातवे वर्ण  पर विराम देकर होते हैं   i  प्रत्येक  चरण में दो नगण (I  I  I ) एक मगण (SSS) और दो यगण (ISS) अर्थात  I I I   I I I  SSS  ISS  ISS          

प्रसंग-  राम सीता को कुटिया  में न पाकर विरहाकुल है  I  सीता की स्मृतिया  उन्हें सताती है पर वे धैर्य धारण कर  सीता - अन्वेषण  में प्रवृत्त होते है I

 

सजल सुमन सी थी   तात ! सीता पुनीता I
जलज नयन  वाली   धीर  शांता विनीता  I
लखन  तुम  उसे   ऐसे   कहाँ   छोड़ आये
विपिन उटज में हा!  हा! नहीं प्राण सीता II

वह सिय  कहती  थी   आपका  आसरा है I
वन  पवन  सभी  प्यारे  अनोखी  धरा है  I
हर  जगह  चित्रकूट   है   हमारा  निराला
मन  हर  पल  होता  सभागा  बावरा  है  II

किस  तरह  सुनूंगा   तात ! मैं आज वानी I
इस  समय  कहाँ हो   आज  सीता सयानी I
अशन-वसन   होंगे   या   हताशा -निराशा
सुरभित कमला  सी है या अभागी अयानी II

पशु  अशन  बनी  है या  मिली  है सहाया  I
दनुज  कब  उठा  ले काम -क्रोधी अमाया  I
विषधर  कब  किसे  काट  ले  कौन  जाने
विरह यह  हमारा  काल   सा आज आया  II

लखन  अब  उठो   कोई  सहारा   नहीं  है  I
अब  तरणि  यहाँ   टूटी   किनारा  नहीं है  I
कुछ  जतन   हमें   होंगे  भिड़ाने  यहाँ  भी  
चुप   रहकर   बैठूं   मै   गवारा   नहीं  है   II

हम   सफल   कहायेंगे    विधाता   सुनेगे I
गिरि,तरु,जल,छाया  आदि से  भी  कहेंगे I
अब  यह  सब  बात  माने  मेरी  अभी  से
हम तुम  मिल  सीता को  यहाँ खोज लेंगे II

(मौलिक व्  अप्रकाशित )

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Replies to This Discussion

बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है आदरणीय श्रीरामजी के इस स्वरूप का आपने बहुत ही सुंदर चित्रण किया है ।

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