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धार्मिक साहित्य Discussions (167)

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मौसे कह गयो थो कान्हा (कविता)

मौसे कह गयो थो कान्हा बेगी ही आ जावेगो सलौनी सन्ध्या हो चली है जाने कब वो आवेगो माखन देखो सूख गयो है धूप में कान्हा जब से गयो है हाय हाय अ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

0 Oct 12, 2017

शक्ति के रूप

शक्ति के रूप  (मौलिक एवं अप्रकाशित ) हिमालय की लाली मां, हैं बैल पर सवार | दिव्य रूप हाथ त्रिशूल, सुशोभित पद्म सार ||   सत्व सत्ता प्रकृति…

Started by VINOD GUPTA

2 Sep 6, 2017
Reply by VINOD GUPTA

मेरो किशन कन्हाई काहे मोहे तड़पायो

मेरो किशन कन्हाई काहे मोहे तड़पायो , मो कहूँ आवत नाही कबहू -२ ना मुख चंद्र दिखायो , मेरो किशन कन्हाई काहे मोहे तड़पायो। बहुत सुनिन्ह है तोरे…

Started by Mohit mishra (mukt)

2 Aug 30, 2017
Reply by Mohit mishra (mukt)

कान्हा को नाच नचा गयी राधा

बैरिन बंशी चुराने चली जब तो पहले सकुचा गयी राधा चोरी से चुपके से हौले से धीरे से कान्हा की आँख बचा गयी राधा पूछा किये मुरलीधर श्याम तो लीला…

Started by Alok Rawat

2 Aug 29, 2017
Reply by Alok Rawat

राधा राधा नाम रटे

राधा राधा नाम रटे, सारे बन्धन तुरंत कटे। आप तरे भवसागर से, युक्त रहे नटनागर से।। नाम धन जो लूटेगा,  चौरासी से छूटेगा।। गाएंगे जो प्रेम से…

Started by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा

0 Aug 29, 2017

राधा प्रियस्वामिनि

हे राधा प्रियस्वामिनि, तेरी किरपा किरण दामिनि मोह तम को हरे, कृतकृत्य करे, माता आपके पावन चरण। श्री राधे की बोले जो जय, उसको भव का नहीं हो…

Started by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा

5 Aug 29, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

छप्पय छंद

जय जय जय हनुमान, ज्ञान-गुण उर में भर दो। सदा रहो मम ध्यान, तेजमय तन-मन कर दो।। जला सत्य की ज्योंति, तमस हिय के हर लो सब। बल-बुद्धि-विद्या-ध…

Started by रामबली गुप्ता

1 Aug 28, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

भुजंगप्रयात छन्द

जपो नाम कान्हा वही है सहारा। वही तारता है वही है किनारा।। करे धर्म रक्षा वही मोक्षदाता। अरे विश्व का है वही तो विधाता।१। उसी के सहारे धरा…

Started by डॉ पवन मिश्र

1 Aug 28, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

श्रीवृन्दावनधाम अपार, जपे जा राधेराधे

कदम्ब कुंज वनमाली, वो नाचे दे दे ताली। छलिया को नचावनहार... जपे जा राधेराधे सखियन बिच कुंज बिहारी, संग सोहें राधा प्यारी। सब वेदन को ये सार…

Started by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा

1 Aug 28, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

भजन

भजन ..... बरसो रे घनश्याम तुम चाहो तो अपने आँसू करूं तुम्हारे नाम बरसो रे घनश्याम...... मन उपवन में अभिलाषा की सूख गयी है क्यारी जित देखूं…

Started by Abha saxena Doonwi

1 Aug 28, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
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Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

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