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मैयाक गीतमैया भवानी अलख जगेथीन अन्न धन देथीन हमरो घर ना नै हम रहबै लेने खाली दूबि धान माँगै छी मैयासँ माँगक सेनूर लाले लाल अचरीक दान मैया करथीन… Started by जगदानन्द झा 'मनु' |
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Oct 11, 2013 Reply by जगदानन्द झा 'मनु' |
गजलमाँ शारदे वरदान दिअ हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ हरि ली सभक अन्हार हम एहन इजोतक दान दिअ सुनि दोख हम कखनो अपन दुख नै हुए ओ कान दिअ गाबी अहीँ… Started by जगदानन्द झा 'मनु' |
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Apr 15, 2013 Reply by Saurabh Pandey |
मैथिली हाइकू : संजीव 'सलिल'मैथिली हाइकू : संजीव 'सलिल' * स्नेह करब हमर मन्त्र अछि। गले लगबै। * एहि दुनिया ईश्वर बनावल प्रेम सं मिलु। * सभ सं प्यार नफरत करब नs … Started by sanjiv verma 'salil' |
0 | Jan 1, 2013 |
गजलचासो गेलै बासो गेलैघर दरबज्जा अँगनो गेलै ओ ठाढ़े रहलै मजमा बनिथपड़ी गेलै पैसो गेलैहुनकर पाँचो आँगुर घीमेदूधो गेलै दहियो गेलैछै शेरक घर भोजन… Started by ASHISH ANCHINHAR |
0 | Oct 20, 2012 |
गजलदोख हम केकरा देबै इ तोहीं कहआब किनका जरे जीबै इ तोहीं कह नजरि भरि देखलहुँ हुनका अन्हारेमेआब डिबिया किए लेबै इ तोहीं कह गुजरि जाएत बिच्चे… Started by ASHISH ANCHINHAR |
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Aug 2, 2012 Reply by Saurabh Pandey |
Maithilee Geet - Khanak hushn ke..........................by Abhay Deepraajमैथिली गीत- खनक हुश्न के देखि लेलनि.... खनक हुश्न के देखि लेलनि जे राजा | भेलन्हि देह मधुबन, भेलन्हि मोंन बाजा || अब हमरे हर… Started by Abhay Kant Jha Deepraaj |
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Oct 10, 2011 Reply by Abhay Kant Jha Deepraaj |
अभय कान्त झा दीपराज के मैथिली गीत -सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा........ . सिंह - पीठ पर बैसल अम्बा, अयलथि मिथिला धाम | मिथिलावासी, जगदम्बा के, उठि-उठि करथि प्रणाम ||… Started by Abhay Kant Jha Deepraaj |
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Oct 5, 2011 Reply by Saurabh Pandey |
दहेज़ मुक्त मिथिलाअपार हर्षके संग संपूर्ण मैथिल केँ सूचित कय रहल छी जे मिथिलाके महान् पारंपरिक एवं वैज्ञानिक महत्त्वके द्योतक - विवाह योग्य वर एवं कनियाके ज… Started by pankaj jha |
0 | Jun 8, 2011 |
मिथिलाक वासीहम मिथिला केर वासी छी हम मिथिला केर वासी छी अछि गौरव हमरा भाषा पर कि हम मैथिली भाषी छी, हम मिथिला केर वासी छी, एहि पवित्र धरती पर लेलनि जग… Started by Manoj Kumar Jha |
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Jun 4, 2011 Reply by Saurabh Pandey |
अभय कान्त झा दीपराज के मैथिली गीत -५-बेटी के दहेज़ के भार..........बनल असह्य संताप समाजक, बेटी के दहेज़ के भार |भैया - बाबू गोर लगैत छी, … Started by Abhay Kant Jha Deepraaj |
0 | Mar 18, 2011 |
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