For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ उन्तीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है -  कुकुभ छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –22 जनवरी 2021 दिन शनिवार से 

23 जनवरी 2021 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

(चित्र : अंर्तजाल के माध्यम से)

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

 

कुकुभ छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, कईएक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 22 जनवरी 2021 दिन शनिवार से 23 जनवरी 2021 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2308

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

जय-जय

सादर अभिवादन...

शुचि तट गङ्गा पर स्नान करें, दान-धर्म का दिन आया
सूरज बदलेगा घर अपना, लायेगा मंगल छाया
हरी हुई है हरिता अपनी, नवगान प्रकृति ने गाया
रंगबिरंगी पतंग नभ में, नील गगन भी हर्षाया

थोड़ी खुशियाँ, थोड़ा धन दे, जन मानस पुण्य कमाते
दीन-दुखी की सेवा करते, सब अपना धर्म निभाते
गौ माता को ग्रास खिलाकर, अमृत सुधा रस को पाते
नैवेद्य बनाकर तिल गुड़ का, लडुअन का भोग लगाते

मंगल प्रसंग के शुभ मुहूर्त, अब देवकृपा बरसेगी
साजन-सजनी प्रणय मिलन पर, आशीष प्रकृति भी देगी
शीत लहर कुछ मध्यम होगी, धरती भी अब निखरेगी
द्वार खटखटायेगा बसंत, हरियाली भी बिखरेगी

मौलिक और अप्रकाशित

आदरणीय हीरेन भाईजी  

सुन्दर छंदों से आपने आयोजन का शुभारम्भ किया है, हार्दिक बधाई स्वीकार करें |

हरिता ?   इसका अर्थ क्या धरती है या कुछ और|

सादर 

.

आ. भाई हीरेन जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप बेहतरीन छंदों से मंच का शुभारम्भ करने के लिए । हार्दिक बधाई।

आदरणीय हिरेन अरविन्द जोशी जी सादर, प्रदत्त चित्र पर संक्रांति का महत्व और रीति दर्शाते सुंदर कुकुभ छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

 मंगल प्रसंग के शुभ मुहूर्त / द्वार खटखटायेगा वसंत ......कोई निश्चित नियम तो नहीं है किन्तु कुकुभ के किसी चरण की अंतर्यति पूर्व जगण का प्रयोग देखने नहीं मिलता है. सादर.

आदरणीय हीरेन अरविन्द जोशी जी

प्रदत्त चित्र पर कुकुभ छंद आधारित सुन्दर सृजन, हार्दिक बधाई

आदरणीय हिरेन जोशी जी, आपकी किसी रचना से संभवत: पहली बार गुजर रहा हूँ. आपकी प्रस्तुति पठनीय है. छंद तथा कथ्य का सुंदर निर्वहन हुआ है. किंतु, आदरणीय अशोक जी का प्रश्न समीचीन है. कृपया उसके प्रति संवेदनशील रहना आवश्यक है. 

आयोजन का प्रारंभ आपकी रचना से हो रहा है. इस हेतु विशेष बधाई. 

शुभातिशुभ 

चढ़े ताप नित  धीरे - धीरे, घटे  रात्रि, दिन  बढ़ते हैं।
सूर्य उत्तरायण होकर अब, मकर राशि पर चलते हैं।।
देव लोक में दिन निकला  है, द्वार  खुले देवालय के।
देह त्यागकर देवायन से, जीव पहुँचता बिन भय के।।
***
मकर संक्रांति का पुण्य दिवस, सब जन आज मनाते हैं।
घुगुती  त्योहार,  बीहू  कहीं,  कहीं  पोंगल  बुलाते  हैं।।
दान, धर्म जप-तप होते हैं, इस दिन के उत्तम है कहते।
इसी लिए क्या नर,  क्या नारी, सब इन में  आगे रहते।।
****
घाट-घाट पर शंखनाद है, अर्ध्य चढ़ता है सूरज को।
साधू, सन्यासी, जन थामे, हैं आज सनातन ध्वज को।।
पावन गंगा में  जन मानस, भोर से  ही स्नान करता।
युगों-युगों से आस्था सबकी, नीर इसका पाप हरता।।
**
गुड़ तिल लड्डू मूंगफली का, फिर सेवन सब करते हैं
लिए  हर्ष  संदेश  गगन  में, कनकौवे  भी  उड़ते हैं।।
सेवा कर के  दीन-दुखी  की, शीश  नवाते  दाता को।
अपना धर्म निभाते हैं सब, ग्रास खिला गौ माता को।।*
**
धर्म परायण जब जन होते, सुख का आँगन बढ़ता है।
धर्म सनातन जन्म लिया जो, सार इसी का पढ़ता है।।
अन्न धन्न का दान करें जब, पुण्य यहाँ सब पाने को।
मिलना और सहज होता है, भूखे जन को खाने को।।
**
मौलिक/अप्रकाशित

आदरणीय लक्ष्मण भाईजी

मकर संक्रांति की पूरी छटा बिखेर दी आपने सुन्दर छंदों के माध्यम से, हार्दिक बधाई 

 इस दिन के उत्तम है कहते। .......  मात्रा अधिक है 

अर्ध्य चढ़ता है सूरज को। ................मात्रा अधिक है 

सादर 

आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। छन्दों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद। 

इंगित चरणों को इस प्रकार देखिए -

इस दिन के उत्तम कहते।

अर्ध्य चढ़ रहा सूरज को।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
27 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
18 hours ago
Shabla Arora updated their profile
21 hours ago
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service