"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 27 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.
प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है.
आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी.. और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें. ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.
नोट :-
(1) 20 जून 2013 तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, 21 जून 2013 दिन शुक्रवार से 23 जून 2013 दिन रविवार तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
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अति आवश्यक सूचना : आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन रचनाएँ अर्थात प्रति दिन एक रचना के हिसाब से स्वीकार की जायेंगीं. ध्यान रहे प्रति दिन एक रचना न कि एक ही दिन में तीन रचनाएँ. नियम विरुद्ध या निम्न स्तरीय प्रस्तुतियाँ बिना कोई कारण बताये या बिना कोई पूर्व सूचना के प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दी जायेंगी, जिसके सम्बन्ध में किसी किस्म की सुनवाई नहीं होगी, न ही रचनाकारों से कोई प्रश्नोत्तर होगा.
मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आपने अपनी कीमती राय से अवगत कराया ,, रचना सार्थक हुयी
आपका धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी
स्नेह बनाये रखिये
वाह आदरणीया गीतिका जी ,,बहुत ही सुंदर दोहें रचे आपने .. आनंद आ गया बधाई आपको
आपको सुखद लगा रचना कर्म ,,आपका आभार आदरणीया महिमा जी!
छोटे मोटे खेल से, खेला यही महान
देख सखी री संग में, पैसों भरी खदान ...सुन्दर
आदरणीया गीतिका जी दोहा छन्दों पर सुन्दर प्रयास हुआ है सादर बधाई स्वीकारें. पश्चिम के लिए 'पश्च' लिखना उचित नहीं है.
आदरणीय मंच संचालक जी! निवेदन है निम्न सुधार के लिए
पश्च दिशा से खेल यह के स्थान पर पच्छम दिस से खेल यह
छोटे मोटे खेल हम, में हम के स्थान पर से कर दीजिए
प्रिय गीतिका जी
पच्छम दिस से खेल यह ...यहाँ उच्चारण दोष बनेगा
आप बोल कर देखिये
आदरणीया! अगर दिस के स्थान पर पथ कर दें तो कोई दोष बनेगा क्या
बता दीजिये
प्रिय गीतिका जी
दिशा और पथ दोनों शब्दों के अर्थ तो बिल्कुल अलग हैं :))
पश्च दिशा से खेल यह, लाये थे अंग्रेज
देशज थाती त्याग हम, उनके लिए सहेज ....'उनके लिए सहेज' कुछ अस्पष्ट है
पश्चिम का है खेल यह, लाये थे अंग्रेज
देशज थाती त्याग हम, इसको रहे सहेज....... यदि ऐसा करें तो कैसा रहेगा ?
देशज थाती त्याग हम, उनके लिए सहेज,,, का तात्पर्य है की हम अपनी थाती त्याग दिए है और उनकी याने पश्चिम वालो की थाती सहेज लिए है..
इसको रहे सहेज // आपका सुझाव अच्छा है आदरणीया प्राची जी! किन्तु मै इसमें 'उनके' वाले भाव लाना चाहती हूँ
//दिशा और पथ दोनों शब्दों के अर्थ तो बिल्कुल अलग हैं// मै स्वीकारती हूँ आपकी बात आदरणीया प्राची जी!
लेकिन पूर्व पथ, पूर्व मग, पूर्व डगर आदि शब्द प्रयोग किये जा चुके है, और रास्ता के साथ उसकी दिशा का नाम जोड़ देने पर कोई निशेध न हो तो ,, इस आधार पर कह रही थी मै
और इस संशोधन में अर्थ बिगड़ भी नही रहा है।
आगे आप जैसा उचित समझिये
//किन्तु मै इसमें 'उनके' वाले भाव लाना चाहती हूँ //
जैसा आप उचित समझे गीतिका :)))))
सस्नेह
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